
शिक्षकों की पदोन्नति नीति में बड़ा बदलाव, त्रिस्तरीय कैडर पर बनी सहमति..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग में जल्द ही त्रिस्तरीय कैडर व्यवस्था लागू हो सकती है। इसको लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संगठन ने जानकारी दी है कि शिक्षा निदेशालय में हुई बैठक के दौरान इस विषय पर विभाग से सहमति बनी है। संगठन के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किए गए प्रारंभिक ड्राफ्ट में संगठन से सुझाव मांगे गए थे। अब इन सुझावों को शामिल कर ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा और शासन को भेजा जाएगा। इसके बाद इस व्यवस्था को नीतिगत मंजूरी मिलने की प्रक्रिया शुरू होगी। त्रिस्तरीय कैडर लागू होने से शिक्षक पदोन्नति, स्थानांतरण और नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता और पदानुक्रम की स्पष्टता आएगी। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी, और अब जाकर इसमें ठोस पहल हुई है। शिक्षक संगठनों ने उम्मीद जताई है कि शासन से जल्द मंजूरी मिलते ही यह व्यवस्था लागू होगी और इससे शिक्षकों का मनोबल भी बढ़ेगा।
बेसिक शिक्षा विभाग में प्रस्तावित त्रिस्तरीय कैडर व्यवस्था को लेकर शिक्षक संगठनों की सक्रियता बढ़ गई है। इसी क्रम में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के साथ बैठक कर अपनी 21 सूत्रीय मांगों को उठाया। संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद थापा ने कहा कि यह बैठक बेसिक शिक्षा निदेशालय में आयोजित की गई, जिसमें संगठन ने स्पष्ट रूप से कहा कि विभाग में कोई भी नई व्यवस्था, विशेषकर त्रिस्तरीय कैडर जैसी संरचनात्मक नीति लागू करने से पहले, सभी शिक्षक संगठनों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। विनोद थापा का कहना हैं कि त्रिस्तरीय कैडर व्यवस्था शिक्षक हितों से जुड़ा बड़ा निर्णय है। इसे सभी संगठनों की राय से ही लागू किया जाए, ताकि किसी वर्ग के साथ भेदभाव न हो और व्यवस्था सबके लिए समान रूप से लाभकारी हो।
बैठक में समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों को समय पर वेतन दिए जाने की मांग प्रमुखता से रखी गई। इसके अलावा, ओपीडी सहित चिकित्सा सुविधाएं केंद्र सरकार के समकक्ष पदों पर कार्यरत शिक्षकों की तर्ज पर देने की बात कही गई। एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा रहा 17140 वेतनमान का। संगठन ने मांग की कि इस वेतनमान को लेकर जो विवाद चल रहा है, उसे जल्द सुलझाया जाए और शिक्षकों से की जा रही वसूली पर तत्काल रोक लगाई जाए। संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद थापा का कहना हैं कि बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि शासन स्तर के मामलों का समाधान शासन को प्रस्ताव भेजकर किया जाएगा, जबकि जो प्रकरण शिक्षा महानिदेशालय स्तर पर निपटाए जा सकते हैं, उन्हें वहीं से शीघ्र निस्तारित किया जाएगा। विनोद थापा का कहना हैं कि समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए उनका स्तर तय होना जरूरी है। बैठक में तय हुआ है कि अब प्रकरणों को शासन और महानिदेशालय स्तर पर स्पष्ट रूप से वर्गीकृत कर उनके समाधान की प्रक्रिया तेज की जाएगी।
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