June 26, 2025

केदारनाथ यात्रा को नया संजीवन, रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग फिर होगा बहाल..

केदारनाथ यात्रा को नया संजीवन, रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग फिर होगा बहाल..

 

 

 

उत्तराखंड: बर्फबारी के कारण रुका केदारनाथ का पुराना मार्ग अब रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक (5.35 किमी) पुनर्जीवित किया जा रहा है। इस मार्ग के तैयार होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तपस्थली गरुड़चट्टी में भी फिर से चहल-पहल लौटेगी, जहां उन्होंने अस्सी के दशक में तीन माह साधना की थी। इस मार्ग के खुलने से केदारनाथ यात्रा और भी रोमांचक और सुविधाजनक होगी।

लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी पुराने मार्ग को पुनर्जीवित करने का कार्य फिर से शुरू कर दिया है। बीते वर्ष 200 मजदूरों के साथ इस कार्य की शुरुआत हुई थी, और अब तक 4 किमी से अधिक मार्ग पूरा हो चुका है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच 5.35 किमी लंबे और 1.8 मीटर चौड़े इस मार्ग का कार्य चार किमी से अधिक पूरा हो चुका है। इस वर्ष फरवरी के आखिर में भारी बर्फबारी के कारण यहां कार्य बंद कर दिया गया था। दो दिन पूर्व लोनिवि ने पुन: पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने का कार्य शुरू कर दिया है। यहां 70 मजदूर कार्य कर रहे हैं। मार्ग पूरा होने के बाद श्रद्धालुओं को केदारनाथ यात्रा में एक नया और ऐतिहासिक रास्ता मिलेगा। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तपस्थली गरुड़चट्टी में भी फिर से गतिविधियाँ बढ़ेंगी।

केदारनाथ तक पहुंचने की राह कुछ आसान होगी..

केदारनाथ के पुराने रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग का पुनर्निर्माण तेजी से जारी है। जुलाई 2025 तक कटान कार्य पूरा कर सुरक्षा दीवार, पत्थर बिछाने और पैराफिट का कार्य भी पूरा किया जाएगा। इससे श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम होगी और गरुड़चट्टी का 11 साल पुराना सन्नाटा टूटेगा। इस मार्ग के पुनर्जीवित होने से बाबा केदार के भक्तों की केदारनाथ तक पहुंचने की राह कुछ आसान हो जाएगी। इस रास्ते से केदारनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालु हनुमान और गरुड़ जी के दर्शन कर सकेंगे। बता दे कि 5.35 किमी गरुड़चट्टी से केदारनाथ तक 3 किमी पहले से तैयार हो चुका हैं। इस रास्ते से मंदिर से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल पहले ही बन चुका हैं। यह मार्ग श्रद्धालुओं को एक नया और ऐतिहासिक अनुभव देगा।

पीएम मोदी कर चुके साधना..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ और गरुड़चट्टी से विशेष लगाव है। अस्सी के दशक में उन्होंने तीन महीने तक गरुड़चट्टी में साधना की थी। उस दौरान वे प्रतिदिन पैदल चलकर बाबा केदारनाथ के दर्शन और जलाभिषेक करते थे। 2017 में प्रधानमंत्री बनने के बाद जब पहली बार केदारनाथ पहुंचे, तो उन्होंने वहां बिताए दिन और उस दौरान के लोगों के नाम भी लिए थे। अब रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग के पुनर्निर्माण के बाद यह स्थान फिर से जीवंत होने जा रहा है, जिससे श्रद्धालु इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल का अनुभव ले सकेंगे।

 

आपदा में ध्वस्त हो गया था पुराना मार्ग..

16-17 जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक 8 किमी पैदल मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था, जिससे गरुड़चट्टी और केदारनाथ का संपर्क टूट गया। आपदा के बाद मार्च 2014 में मंदाकिनी नदी के बाईं ओर से 9 किमी का नया मार्ग तैयार किया गया, जो पिछले एक दशक से यात्रा के लिए उपयोग हो रहा है। अब रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग (5.35 किमी, चौड़ाई 1.8 मीटर) को पुनर्जीवित करने का कार्य फिर से शुरू हो चुका है। 70 मजदूर दिन-रात काम कर रहे हैं, और इस साल के मध्य तक कार्य पूरा होने की संभावना है। इस मार्ग के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ यात्रा अधिक सुगम होगी, और प्रधानमंत्री मोदी की तपस्थली गरुड़चट्टी को भी फिर से पहचान मिलेगी।