ड्रोन मेडिकल सेवा का सफल ट्रायल, 35 मिनट में एम्स से चंबा पहुंचाई गयी दवा..
उत्तराखंड: एम्स प्रबंधन ने दूरदराज के क्षेत्रों में ड्रोन आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को प्रोत्साहित करने और आपातकालीन स्थिति में मरीजों तक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए ड्रोन मेडिकल सेवाओं का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। एम्स ने 35 मिनट में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंबा तक ड्रोन के माध्यम से टीबी की दवा पहुंचाई। जबकि ड्रोन को वापसी में 30 मिनट का समय लगा। करीब आधा किलोग्राम वजनी दवा को पहुंचाने में ड्रोन ने एक तरफ 40 किलोमीटर की उड़ान भरी। एम्स इस महीने की शुरुआत में राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए नियमित ड्रोन चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना शुरू कर देगा।
एम्स संस्थान की निदेशक प्रो. मीनू सिंह का कहना हैं कि वेंडर सेलेक्शन के तहत गुरुवार को आपातकालीन स्थिति में सुदूर, पहाड़ी स्थानों पर दवा पहुंचाने के लिए ड्रोन का उपयोग करने का परीक्षण किया गया। ड्रोन-आधारित स्वास्थ्य सेवा के तहत किया गया ट्रायल पूरी तरह से सफल रहा। बताया कि पीएम मोदी की दूरदर्शी सोच के मद्देनजर में महिला सशक्तिकरण पहल के तहत ड्रोन दीदी नाम से एक नई फोर्स तैयार की जा रही है। जिससे यह सेवा नियमित रूप से शुरू हो सकेगी। ड्रोन के माध्यम से सीएचसी स्तर के अस्पतालों को डायग्नोस्टिक किट, दवाइयां, ब्लड सैंपल आदि भेजे जाएंगे।
आपको बता दे कि ड्रोन सेवा से टेलीमेडिसिन कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों को ही जोड़ा जाएगा। संस्थान चारधाम यात्रा और आपातकालीन स्थिति में भी इस तरह की सेवाएं देने को तैयार है। संस्थान के ड्रोन सर्विसेस नोडल अधिकारी डॉ. जितेंद्र गैरोला का कहना हैं कि गुरुवार को एम्स निदेशक के निर्देश पर ड्रोन से दवा भेजने का ट्रायल किया गया। इसमें चंबा में ड्रोन दीदियों ने भी प्रतिभाग किया। बता दे कि शुक्रवार को भी ट्रायल का क्रम जारी रहेगा।
25 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर होगा ट्रायल..
डॉ. जितेंद्र गैरोला का कहना हैं कि 25 जनवरी को देश के विभिन्न मेडिकल संस्थानों में एक साथ ड्रोन से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में दवा भेजे जाने के लिए ट्रायल किए जाएंगे। यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा। ड्रोन प्रोजेक्ट के नियमित संचालन के लिए महिला सशक्तिकरण के तहत दो महिलाओं का चयन किया गया है।
एम्स पूर्व में तीन बार कर चुका है ट्रायल..
पहाड़ी क्षेत्रों में ड्रोन से दवाई आदि भेजे जाने के लिए एम्स प्रशासन पूर्व में तीन बार ट्रायल कर चुका है। ड्रोन से दवाई भेजने वाला ऋषिकेश एम्स देश का पहला एम्स है। पहला ट्रायल 16 फरवरी 2023 को किया था। तब करीब दो किलो भार की दवाइयां जिला अस्पताल टिहरी गढ़वाल भेजी गई थी। दूसरे ट्रायल के तहत दो मार्च को यमकेश्वर सीएचसी में दवाई भेजी गई थी। तीसरा ट्रायल सात अगस्त 2023 को किया गया था। जिसके तहत कोटद्वार ब्लड कंपोनेंट भेजे जा रहे थे, लेकिन ड्रोन अपने निर्धारित स्थल से कुछ दूर पहले क्रैश हो गया था।
भविष्य में नमो ड्रोन उड़ाएंगी दीदी..
इस योजना में महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की भूमिका भी अहम होगी। एम्स से जिस पहाड़ी स्वास्थ्य केंद्र में ड्रोन से दवाइयां आदि भेजी जाएंगी वहां ड्रोन से सामग्री उतराना या इस पर सामग्री चढ़ाने का कार्य महिलाएं करेंगी। इसके लिए इन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। इन महिलाओं को स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार व एनएचएसआरसी की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा। भविष्य में यही महिलाएं ड्रोन भी उड़ाएंगी। इन महिलाओं को नमो ड्रोन दीदी का नाम दिया गया है।
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