
प्लास्टिक बोतलों पर क्यूआर कोड लागू करके प्रशासन ने शुरू की थी नई पहल..
33 हजार से ज्यादा प्लास्टिक की बोतलों का किया निस्तारण..
सात जनवरी को विज्ञान भवन दिल्ली में राष्ट्रपति की ओर से दिया जायेगा जिले को यह पुरस्कार..
रुद्रप्रयाग। विश्व विख्यात केदारनाथ यात्रा के संचालन के दौरान प्रयोग में आने वाली प्लास्टिक की बोतलों पर क्यूआर कोड लागू करने और प्लास्टिक से पर्यावरण को बचाने को लेकर गुप्तकाशी से केदारनाथ धाम तक जिला प्रशासन की ओर से प्लास्टिक की बोतल एकत्रित कराने को लेकर की गई पहल को राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल इंडिया का तृतीय सिल्वर पुरस्कार प्राप्त होने जा रहा है। प्रशासन की इस पहल का जहां देश-विदेश में स्वागत हुआ, वहीं हिमालय को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को भी बचाया गया।
पूरे यात्रा सीजन के दौरान 33 हजार से अधिक की प्लास्टिक की बोतले एकत्रित की गई। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने यह पुरस्कार मिलने पर जिला प्रशासन, तहसील ऊखीमठ, रिसायकल संस्था व समस्त जनपद वासियों को बधाई दी है।
जिलाधिकारी मूयर दीक्षित ने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्राॅनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलाॅजी की ओर से हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग वर्ग में यह प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा जनपद रुद्रप्रयाग को डिजिटल डिपोजिट रिफंड सिस्टम के तहत नामित किया गया था, जिसमें जनपद ने राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल इंडिया अवाॅर्ड्स 2022 में सिल्वर मेडल का पुरस्कार जीता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से बैन किया जा चुका है।
ऐसे में यात्रा मार्ग पर लाखों श्रद्धालुओं द्वारा पानी की बोतलों, कोल्ड ड्रिंक समेत अन्य प्लास्टिक का सामान इस्तेमाल करने के बाद उसका उचित निस्तारण बड़ी चुनौती बनी है। रिसायकल संस्था के साथ मिलकर पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर केदारनाथ यात्रा मार्ग एवं दूसरे चरण में चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर क्यूआर कोड व्यवस्था को लागू किया गया। इस वर्ष पानी की बोतलों पर क्यूआर कोड लगाने से प्रोजेक्ट शुरु हुआ था, जबकि बाद में कोल्ड ड्रिंक की बोतलों पर भी इसे लागू किया गया।
आगामी यात्राओं में योजना को बड़े पैमाने पर लागू कर सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे को निस्तारित करने के लिए इस्तेमाल करने पर विचार किया जाएगा। रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ, चोपता-तुंगनाथ, देवरियाताल समेत कई धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर लाखों पर्यटक हर साल पहुंचते हैं। इस वर्ष अकेले केदारपुरी में करीब 16 लाख श्रद्धालुओें ने दर्शन किए हैं। ऐसे में प्लास्टिक कचरे का निस्तारण एक बड़ी चुनौती था, लेकिन जिला प्रशासन ने अथक प्रयासों से इस समस्या को कम करने का एक बड़ा हल निकालकर जिले में क्यूआर कोड प्रणाली शुरु की, जिसके अंर्तगत यात्रा मार्गों पर बिकने वाली प्लास्टिक की बोतलों पर एक क्यूआर कोड चस्पा कर बोतलों की टैगिंग की गई।
हर क्यूआर कोड लगी बोतल पर बिक्री के समय दस रुपए अतिरिक्त वसूले जाते हैं, वहीं प्रत्येक बोतल वापस जमा करने वाले को दस रुपए कमाने का मौका मिलता है। केदारनाथ के उप जिलाधिकारी जितेन्द्र वर्मा ने बताया कि छः मई 2022 को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर रिसायकल संस्था ने ऊखीमठ तहसील प्रशासन, नगर पंचायत केदारनाथ, सुलभ इंटरनेशनल एवं यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के कर्मचारियों के साथ मिलकर मंदिर परिसर के समीप की कुछ दुकानों से प्रोजेक्ट शुरु किया था।
सफल परीक्षण के बाद गुप्तकाशी से केदारनाथ के बीच सभी दुकानों में क्यूआर कोड लागू किए गए। दूसरे चरण में यह सिस्टम चोपता-तुंगनाथ मार्ग पर लागू किया गया, जहां इस प्रयोग को और गति मिली। केदारनाथ, चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर अब तक 33,307 प्लास्टिक बोतलें संस्था के काउन्टर पर एकत्रित की गई हैं। जबकि 1181 व्यापारियों को 92,300 क्यूआर कोड वितरण किए जा चुके हैं। जिन दुकानों की क्यूआर कोड लगी बोतलें पूरी नहीं बिकी हैं, वे आने वाले समय में भी बेची जा सकती हैं।
More Stories
रुद्रप्रयाग में डेढ़ लाख की स्मैक के साथ दो युवक गिरफ्तार, ड्रग्स फ्री देवभूमि अभियान को मिली सफलता
टीएचडीसी संभालेगा टिहरी बांध प्रभावितों का पुनर्वास, आवासीय और कृषि भूखंड होंगे विकसित
स्टार्टअप्स को नई उड़ान देगी धामी सरकार, 200 करोड़ का वेंचर फंड स्थापित..