
दिल्ली में गूंजा उत्तराखंड का यूसीसी मॉडल, CM धामी बोले – जनता का मिला भरपूर समर्थन..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता पर राज्य की ओर से प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया। सीएम धामी ने बैठक में कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने यूसीसी लागू करने की दिशा में ठोस और संवैधानिक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस कानून को बनाने से पहले राज्य सरकार ने विस्तृत जनसंपर्क, सुझाव और विशेषज्ञों से विमर्श किया। इसका परिणाम है कि यूसीसी को आम जनता का भी व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है। सीएम धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के माध्यम से सभी नागरिकों को समान अधिकार और समान जिम्मेदारियां दी जाती हैं, जिससे समाज में सामाजिक समानता और न्याय की भावना को बल मिलता है। उन्होंने बैठक में मौजूद अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी अपील की कि वे अपने-अपने राज्यों में इस दिशा में विचार करें। सीएम धामी ने कहा कि राज्य ने यूसीसी लागू कर देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिससे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, परिवार कानून में समानता, और भविष्य की सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित होगी।
सीएम धामी का कहना हैं कि उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करने के लिए एक सशक्त डिजिटल सिस्टम विकसित किया गया है। इसके तहत राज्य में मोबाइल ऐप, पोर्टल और 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) को इस अभियान से जोड़ा गया है, ताकि आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।सीएम ने कहा कि इस अभियान को जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। केवल चार महीनों में प्रदेश के 98 फीसदी गांवों से डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उत्तराखंड की जनता यूसीसी के पक्ष में मजबूती से खड़ी है। उन्होंने कहा कि हमने जनता की भागीदारी से यह सुनिश्चित किया है कि UCC का प्रारूप केवल सरकारी विचार न होकर जनमत पर आधारित हो। बता दे कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने यूसीसी को लेकर इतनी व्यवस्थित और तकनीकी रूप से सक्षम पहल की है। डिजिटल ढांचे के माध्यम से न केवल आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाया गया, बल्कि जनता की सीधी भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया।
सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी लागू होने से समाज में व्याप्त कई कुप्रथाएं जैसे बाल विवाह, बहुविवाह और तीन तलाक पर प्रभावी रोक लगेगी। इसके साथ ही महिलाओं के अधिकारों को भी कानूनी सुरक्षा मिलेगी। यूसीसी के तहत बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे। साथ ही लिव-इन रिलेशन को भी कानूनी मान्यता के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा। इससे समाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी। सीएम ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यूसीसी का उद्देश्य किसी भी धार्मिक मान्यता को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक को समान अधिकार और कर्तव्य देना है। उन्होंने कहा कि यह कानून भारतीय संविधान की धारा 44 के तहत न्याय, समानता और महिला सशक्तिकरण को मजबूती देगा। उत्तराखंड ने न केवल UCC का ड्राफ्ट तैयार किया बल्कि उसे जनभागीदारी के आधार पर विकसित किया, जिसे आमजन का भरपूर समर्थन मिला। यह पहल देश में सामाजिक सुधार और समानता की दिशा में एक नया अध्याय लिख रही है।
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