
भारी बारिश और भूस्खलन के बीच भराड़ीसैंण में 19 अगस्त से मानसून सत्र, सरकार के सामने चुनौती..
उत्तराखंड: ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा में 19 अगस्त से शुरू होने वाले मानसून सत्र में आपदा और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास से जुड़े मुद्दे छाए रहेंगे। अब तक विधानसभा सचिवालय को पक्ष और विपक्ष के विधायकों से कुल 545 प्रश्न प्राप्त हो चुके हैं। प्रदेश सरकार ने मानसून सत्र भराड़ीसैंण में कराने का निर्णय लिया है और राजभवन से अनुमति मिलने के बाद विधानसभा ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। सत्र 19 से 22 अगस्त तक चलेगा। विधानसभा सचिवालय ने सत्र को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। विधानसभा सचिवालय के अनुसार अब तक पक्ष और विपक्ष के विधायकों की ओर से अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों से जुड़े कुल 545 प्रश्न प्राप्त हो चुके हैं। इनमें सबसे अधिक प्रश्न आपदा प्रबंधन, राहत एवं पुनर्वास, सड़क और संचार व्यवस्था बहाल करने, क्षतिग्रस्त मकानों व बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण से संबंधित हैं। हाल के दिनों में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ समेत कई जिलों में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।
कई गांवों का संपर्क टूटा, सैकड़ों परिवार बेघर हुए और किसानों की फसलें चौपट हो गईं। ऐसे में विपक्ष इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर सरकार से ठोस और दीर्घकालिक योजना पेश करने की मांग करेगा। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में आपदा प्रबंधन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर अंतिम रणनीति तय की जाएगी। वहीं सत्ता पक्ष ने भी विपक्ष के हर सवाल का तथ्यात्मक और मजबूत जवाब देने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। राजभवन की अनुमति के बाद विधानसभा ने सत्र की अधिसूचना जारी कर दी है। 19 से 22 अगस्त तक चलने वाले इस सत्र में सदन में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप की संभावना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भराड़ीसैंण का यह मानसून सत्र न केवल आपदा पीड़ितों की आवाज बनेगा बल्कि राज्य की सियासत में भी गर्माहट बढ़ाएगा।
भराड़ीसैंण में सत्र कराने में मौसम भी बन रहा चुनौती..
ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में 19 अगस्त से शुरू होने वाला विधानसभा का मानसून सत्र इस बार मौसम की मार के बीच आयोजित होगा। प्रदेश के कई हिस्सों में लगातार भारी बारिश के कारण जगह-जगह भूस्खलन और प्राकृतिक आपदा की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे हालात में सत्र को समय पर और सुरक्षित तरीके से आयोजित करना सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सत्र के दौरान न केवल मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और सभी विधायक भराड़ीसैंण पहुंचेंगे, बल्कि सत्र को संचालित करने के लिए सैकड़ों अधिकारी-कर्मचारी, विधानसभा सचिवालय का स्टाफ, मीडिया प्रतिनिधि और सुरक्षा बल के जवान भी मौजूद रहेंगे। पहाड़ी मार्गों पर भूस्खलन और सड़क बाधित होने की घटनाओं के कारण आवाजाही प्रभावित हो रही है, जिससे समय पर सभी की सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करना प्रशासन के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। मानसून सत्र में आपदा, राहत और पुनर्वास से जुड़े मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है, वहीं सरकार भी विपक्ष के सवालों का मजबूती से जवाब देने की रणनीति बना रही है। लेकिन मौसम का यह मिजाज सत्र के संचालन पर बड़ा असर डाल सकता है। स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि पहले भी इस बात को लेकर चिंता जता चुके हैं कि बारिश के चरम समय में भराड़ीसैंण में सत्र कराने से यात्रा जोखिमपूर्ण हो जाती है। ऐसे में इस बार न केवल राजनीतिक गर्माहट बल्कि मौसम की चुनौती भी भराड़ीसैंण के मानसून सत्र की चर्चा में रहेगी।
22 अगस्त से पहले सत्र कराने की संवैधानिक बाध्यता..
विधानसभा के समक्ष 22 अगस्त से पहले सत्र आहुत करने की संवैधानिक बाध्यता है। 22 फरवरी को देहरादून विधानसभा में बजट सत्र आहुत था। इसके छह माह के भीतर सत्र कराने की अनिवार्यता है। ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में 19 अगस्त से प्रस्तावित विधानसभा का मानसून सत्र मौसम की चुनौतियों के बावजूद तय समय और स्थान पर ही आयोजित होगा। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में सत्र का समय और स्थान तय करने का अधिकार सरकार का है और भराड़ीसैंण सत्र के लिए सभी तैयारियां पूरी हैं। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार ने भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र कराने का निर्णय लिया है। सत्र वहीं होना चाहिए। खराब मौसम व आपदाओं का हवाला देकर भराड़ीसैंण में सत्र न करना हमें स्वीकार नहीं है। आज पूरा प्रदेश आपदा से ग्रस्त है। विपक्ष की ओर से आपदा प्रभावितों के मुद्दों को सदन में उठाया जाएगा।
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