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उत्तराखंड हाईकोर्ट में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर एक और जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण फॉर्म में पूछे गए सवालों को लेकर है, जिन पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है और जवाब देने के लिए 21 फरवरी तक का समय दिया है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में इस याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि लिव-इन रजिस्ट्रेशन फॉर्म में अनावश्यक और निजता से जुड़े सवाल पूछे जा रहे हैं, जिनका उत्तर देना अनिवार्य किया गया है। इनमें आवेदक के विधवा, शादीशुदा या पूर्व संबंधों से जुड़ी जानकारियों को प्रस्तुत करने की बात कही गई है। याचिकाकर्ता ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन आपत्तियों पर अपना रुख स्पष्ट करे। अदालत ने अगली सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में तय की है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामा चंद्रन और रोहित अरोड़ा ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट में लिव-इन रजिस्ट्रेशन फॉर्म प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया कि ऐसे सवालों का कोई कानूनी औचित्य नहीं है और यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के समान है।
इससे पहले भी UCC को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर लगातार सुनवाई हो रही है। अब सभी की निगाहें सरकार के जवाब पर टिकी हैं।
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