October 16, 2024

उत्तराखंड सरकार की याचिका खारिज,नियमित होंगे उपनल कर्मचारी-सुप्रीम कोर्ट..

उत्तराखंड सरकार की याचिका खारिज,नियमित होंगे उपनल कर्मचारी-सुप्रीम कोर्ट..

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश में उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम) कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर साल 2018 में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। उपनल कर्मचारियों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 की सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जो हाईकोर्ट के नियमितीकरण को लेकर दिए गए आदेश के खिलाफ लगाई गई थी। उधर सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परीक्षण कराए जाने की तैयारी कर रही हैं।

उत्तराखंड में साल 2018 के दौरान एजेंसी के माध्यम से राज्य सरकार के एक विभाग में काम करने वाले कुंदन सिंह की चिट्ठी का नैनीताल हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया था और इसे याचिका में तब्दील करते हुए कुंदन सिंह बनाम राज्य सरकार के रूप में पूरे प्रकरण को सुनने के बाद उपनल कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाया था। नैनीताल हाईकोर्ट ने उस समय एक साल के भीतर उपनल कर्मचारी को नियमित करने की पॉलिसी तैयार करने और 6 महीने के भीतर सामान काम के बदले सामान वेतन व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए थे।

साल 2018 में दिए गए इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला साल 2019 में आया और इसके बाद कुंदन सिंह समेत तमाम उपनल कर्मचारी संगठन भी इसमें सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को जोड़ते हुए इस पूरे मामले को सुना और इस पर 15 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाया। उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि का कहना हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है और अब सरकार को इस पर निर्णय लेना है।

उन्होंने कहा कि सरकार के पास अब उत्तराखंड के कई सालों से सरकारी विभागों में काम कर रहे इन कर्मचारियों को न्याय देने का बड़ा मौका है। प्रदेश में हजारों उपनल कर्मचारी हैं, जिन्हें अब इस आदेश के बाद सरकार नियमितीकरण को लेकर लाभ दे सकती है। उत्तराखंड में धामी सरकार ने हाल ही में रेगुलाइजेशन पॉलिसी 2024 लाने के संकेत दिए हैं, हालांकि अप्रैल में कर्मचारी इस बात को लेकर सरकार से खफा थे कि इस पॉलिसी में केवल संविदा कर्मचारियों को ही शामिल किया जा रहा है और उपनल कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही है।