November 22, 2024

उत्तराखंड सरकार को एक महीने में मिल जाएगी यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट..

उत्तराखंड सरकार को एक महीने में मिल जाएगी यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट..

 

 

 

उत्तराखंड: एक महीने के भीतर उत्तराखंड सरकार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट मिलने की संभावना है। ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की। बैठक के दौरान यूसीसी से संबंधित सभी पहलुओं पर चर्चा हो चुकी है।

सूत्रों का दावा है कि समिति ने शाह को रिपोर्ट पूरी तरह से तैयार होने की जानकारी दी। नई दिल्ली से लौटने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी रिपोर्ट जल्द ही सौंपे जाने के संकेत दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि सीएम धामी और गृह मंत्री अमित शाह की बुधवार को मुलाकात हुई। जिसमें यूसीसी के बारे में भी चर्चा हुई। इसके बाद अमित शाह ने यूसीसी विशेषज्ञ समिति के सदस्यों से भी मुलाकात की।

समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) ने अमित शाह को ड्राफ्ट रिपोर्ट के सभी प्रमुख बिंदुओं की जानकारी दी। समिति ने उन्हें बताया कि ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार हो गई है। अमित शाह से मुलाकात की पुष्टि समिति के एक सदस्य ने की। उन्होंने कहा कि सरकार को अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले सप्ताह के बीच किसी भी समय रिपोर्ट सौंपी जा सकती है।

पांच राज्यों के चुनाव के लिहाज से खास मायने..

उत्तराखंड में यूसीसी की दिशा में बढ़ाए जा रहे कदम के सियासी मायने भी टटोले जा रहे हैं। ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने और राज्य में इसे लागू करने के लिए अचानक आई तेजी को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि यूसीसी बेशक उत्तराखंड में लागू होगा, लेकिन असर पांच राज्यों के चुनाव में भी दिखाया जा सकता है। धामी सरकार का यूसीसी लागू करने का चुनावी वादा है।

 

कार्यकाल बेशक बढ़ाया, पहले आ जाएगी रिपोर्ट..

27 सितंबर को विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही सरकार ने उसका कार्यकाल चार माह बढ़ा दिया था, लेकिन समिति इससे काफी पहले ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। पहले 31 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना थी। सूत्रों का कहना है कि धामी सरकार रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद उसका विधिक परीक्षण कराने के साथ राज्य में समान कानून की व्यवस्था लागू करने के लिए बिल विधानसभा में पेश कर सकती है। चर्चा तो यह भी है कि राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण विधेयक के साथ विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी भी आ सकता है।

महिलाओं, बच्चों और लैंगिक समानता पर जोर..
समिति की अध्यक्ष भी पूर्व में यह कह चुकी हैं कि यूसीसी ड्राफ्ट में महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता पर फोकस होगा। मनमानी और भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास होगा।

यूसीसी में ये खास प्रावधान हो सकते..

1- महिलाओं के लिए विवाह की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष।

2- विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा।

3- जो व्यक्ति अपनी शादी का पंजीकरण नहीं कराएंगे वे सरकारी सुविधाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।

4- लिव-इन जोड़ों को अपने फैसले के बारे में अपने माता-पिता को सूचित करना होगा

5- हलाला और इद्दत की प्रथा बंद होगी। बहुविवाह (एक से अधिक पत्नियां रखने की प्रथा) भी गैरकानूनी होगा।

6- पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक दिया जाएगा।

7- मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी सिफारिश हो सकती है।