उत्तराखंड में 9 नवंबर से पहले लागू हो जाएगा यूसीसी, सीएम धामी ने की घोषणा..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने को लेकर बड़ा अपडेट दिया है। सीएम धामी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राज्य स्थापना दिवस से पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर दिया जाएगा। यूसीसी को लेकर पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघन सिंह की अध्यक्षता में कमेटी विभिन्न विभागों की समीक्षा का कार्य कर रही है। इसकी वह खुद भी निगरानी कर रहे हैं। बता दें कि 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस मनाया जाता है। उत्तराखंड सरकार ने इस साल 6 फरवरी को यूसीसी विधेयक पेश किया था।
यूसीसी के अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड नहीं कराने पर 3 महीने की कैद और 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को बहुमत से पारित किया गया था, जिसे सीएम धामी ने पेश किया था। 29 फरवरी को उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने विधेयक को राष्ट्रपति मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 मार्च को उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक 2024 को मंजूरी दी थी। इसके साथ ही उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया था। UCC विधेयक में सभी नागरिकों के लिए व्यक्तिगत मामलों के लिए समान कानून स्थापित करने का प्रस्ताव था। इनमें विवाह, तलाक, विरासत और संपत्ति के अधिकार जैसे कानून शामिल हैं। यूसीसी सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा, चाहे उनका धर्म या लिंग कुछ भी हो।
पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकास हमारी प्राथमिकता- सीएम..
सीएम धामी का कहना हैं कि पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकास उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि वे इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच सामंजस्य बनाकर भविष्य की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और विकास की यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। जल, जमीन, जंगल और हवा को समाहित कर जीईपी सूचकांक बनाया गया है। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के शहरों की धारण क्षमता का आंकलन किया जा रहा है। धारण क्षमता के हिसाब से उनका सुनियोजित विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों के लिए प्रत्येक वर्ष मानसून का समय चुनौतीपूर्ण रहता है। ऐसे में हमें सभी पहलुओं को समझकर ही आगे बढ़ना है।
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