August 12, 2025

उत्तराखंड में हाइब्रिड कारों को टैक्स छूट पर ब्रेक, टाटा-महिंद्रा ने उठाई आपत्ति..

उत्तराखंड में हाइब्रिड कारों को टैक्स छूट पर ब्रेक, टाटा-महिंद्रा ने उठाई आपत्ति..

उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में हाइब्रिड कारों को वाहन कर (रोड टैक्स) में 100 प्रतिशत छूट देने का फैसला विवादों में घिरने के बाद फिलहाल टाल दिया गया है। राज्य सरकार अब इस पर पुनर्विचार कर रही है। सरकार ने जून के पहले सप्ताह में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम के तहत केंद्रीय मोटरयान (9वां संशोधन) नियम 2023 के नियम 125-एम को अपनाते हुए यह छूट दी थी। इसके अंतर्गत प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (PHEV) और स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (Strong HEV) को वित्तीय वर्ष 2025-26 तक वाहन कर से पूरी तरह छूट दी जानी थी। इस फैसले का मकसद राज्य में हरित वाहन नीति को बढ़ावा देना और पंजीकरण बढ़ाना था।

हालांकि, देश की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि यह नीति इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बिक्री को प्रभावित कर सकती है और बाजार में असंतुलन पैदा कर सकती है। कंपनियों का कहना है कि हाइब्रिड को टैक्स में पूरी छूट देना EV उद्योग के लिए नुकसानदायक हो सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार को यह भी आशंका है कि वाहन कर में छूट से राजस्व में सीधा नुकसान हो सकता है, क्योंकि टैक्स छूट के चलते अधिकांश हाइब्रिड गाड़ियां यहीं पंजीकृत होतीं। हालांकि, राज्य को इन वाहनों की बिक्री पर 28 से 43 प्रतिशत तक जीएसटी मिलती, जो एक अलग स्रोत से राजस्व का विकल्प हो सकता था। फिलहाल, राज्य सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अंतिम निर्णय अभी लंबित है।

सूत्रों के अनुसार टाटा और महिंद्रा ने इस नीति का विरोध करते हुए राज्य सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की है। दोनों कंपनियों का कहना है कि वे उत्तराखंड में भारी निवेश कर चुकी हैं, और यह निर्णय उनके ईवी सेगमेंट को नुकसान पहुंचा सकता है। इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सरकार के साथ हुई बैठकों में कहा कि यदि हाइब्रिड वाहनों को टैक्स में छूट मिलती है, तो ग्राहक तेजी से उनकी ओर आकर्षित होंगे। इसका सीधा असर इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की मांग पर पड़ेगा, जो कि इन दोनों कंपनियों की प्राथमिक दिशा है। भारत में इस समय हाइब्रिड कारें मुख्य रूप से टोयोटा, मारुति सुजुकी और होंडा जैसी कंपनियों द्वारा निर्मित की जा रही हैं। वहीं टाटा और महिंद्रा की हाइब्रिड सेगमेंट में उपस्थिति नहीं है।

ऐसे में टैक्स छूट से प्रतिस्पर्धा एकतरफा होने की आशंका है।राज्य सरकार को यह भी आशंका है कि 100% रोड टैक्स छूट से उसे वाहन कर के रूप में राजस्व का नुकसान हो सकता है। हालांकि, हाइब्रिड वाहनों की बिक्री से लगने वाला 28 से 43 प्रतिशत जीएसटी राज्य को प्राप्त होता, जिससे आंशिक राजस्व पूर्ति संभव थी। इस पर मंथन चल रहा है। फिलहाल, राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन मजबूत निवेश लॉबी और उद्योग के दबाव को देखते हुए सरकार ने पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

छूट के पीछे ये था परिवहन विभाग का तर्क..

वहीं परिवहन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि कई राज्य, खासकर उत्तर प्रदेश, पहले से ही हाइब्रिड कारों को EV की तर्ज पर टैक्स में छूट दे रहे हैं। इस कारण उत्तराखंड के अधिकांश उपभोक्ता हाइब्रिड कारों का पंजीकरण यूपी या अन्य राज्यों में करा रहे हैं, जिससे वाहन स्वामियों को तीन से साढ़े तीन लाख रुपये तक का लाभ मिलता है। अधिकारियों के अनुसार इससे उत्तराखंड को भारी नुकसान होता है। बीते एक साल में केवल 750 हाइब्रिड कारों का पंजीकरण उत्तराखंड में हुआ, जबकि अनुमान था कि छूट लागू होने पर यह संख्या अगले वित्तीय वर्ष में 2000 के पार जा सकती थी। राज्य सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक ओर छूट से वाहन कर में सीधा नुकसान होता, लेकिन दूसरी ओर इन कारों की बिक्री से मिलने वाला 28% से 43% तक जीएसटी राज्य को राजस्व में कुछ हद तक राहत देता। फिलहाल सरकार निवेशक हित, पर्यावरणीय लक्ष्य, और राजस्व समीकरण के बीच संतुलन तलाश रही है।