
उत्तराखंड में फिर टले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, डीएम-एसडीएम बने प्रशासक..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एक बार फिर से टाल दिए गए हैं। राज्य सरकार ने अंतरिम व्यवस्था के तहत जिला पंचायतों में जिलाधिकारी, क्षेत्र पंचायतों में उप जिलाधिकारी (SDM) और ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी पंचायत (AVO) को प्रशासक नियुक्त कर दिया है। शासन ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं। इस निर्णय के बाद अब राज्य की 10760 त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रतिनिधियों के स्थान पर प्रशासक ही सभी प्रशासनिक और वित्तीय कार्यों की जिम्मेदारी संभालेंगे। चुनावों के बार-बार टलने से राज्य में स्थानीय स्वशासन की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों और विपक्षी दलों ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए इसे ग्राम स्तर की लोकतांत्रिक भागीदारी को कमजोर करने वाला कदम बताया है। राज्य सरकार ने हालांकि आश्वस्त किया है कि चुनाव की प्रक्रिया को जल्द से जल्द सुचारु करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन तब तक, पंचायतों का प्रशासन अब अधिकारियों के हाथों में रहेगा।
हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई है। शासन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी पंचायत, क्षेत्र पंचायतों में उप जिलाधिकारी (SDM) और जिला पंचायतों में जिलाधिकारी (DM) को प्रशासक बनाया गया है। आदेश में बताया गया कि ग्राम पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल 27 मई 2025, क्षेत्र पंचायतों का 29 मई 2025, और जिला पंचायतों का एक जून 2025 को समाप्त हो गया था। लेकिन “अत्यंत अपरिहार्य परिस्थितियों” के चलते पंचायत चुनाव निर्धारित समय सीमा के भीतर नहीं कराए जा सके। इस आदेश में केवल हरिद्वार जिला अपवाद रहा है, जहां फिलहाल प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की गई है।
उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति की अवधि को लेकर बड़ा फैसला लिया है। शासन के नए आदेश के अनुसार, जब तक नई पंचायतों का गठन नहीं हो जाता या फिर 31 जुलाई 2025 तक (जो भी पहले हो), तब तक प्रशासक ही पंचायतों की प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाएंगे। हरिद्वार को एक बार फिर इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। राज्य की अन्य सभी जिला, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया कि यह नियुक्ति “कार्यहित एवं जनहित” में की गई है, ताकि पंचायतों में निरंतर प्रशासनिक व्यवस्था बनी रहे और स्थानीय विकास कार्य बाधित न हों। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि हरिद्वार को छोड़कर त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासक नियुक्त करने संबंधी पूर्व में जारी अधिसूचनाओं की शेष सभी शर्तें पहले की तरह लागू रहेंगी। इसका मतलब है कि प्रशासकों के अधिकार, कार्यक्षेत्र और दायित्वों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बता दे कि राज्य की ग्राम पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल 27 मई 2025, क्षेत्र पंचायतों का 29 मई 2025, और जिला पंचायतों का 1 जून 2025 को समाप्त हो चुका है। लेकिन अत्यंत अपरिहार्य परिस्थितियों के चलते समय से चुनाव नहीं कराए जा सके, जिस कारण प्रशासकों की नियुक्ति को फिर से बढ़ाया गया है।
इतनी त्रिस्तरीय पंचायतों में हुए प्रशासक नियुक्त..
हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश की 2941 क्षेत्र पंचायतों, 12 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों और 7478 ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए गए हैं। उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों में हरिद्वार जिले को छोड़कर नए परिसीमन के बाद करीब 7514 ग्राम पंचायतों, 2936 क्षेत्र पंचायतों, 343 जिला पंचायतों और 55640 ग्राम वार्ड में चुनाव होने हैं।
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