निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में भी चल रही सुनवाई,निकाय चुनाव होने में हो सकती है और देरी..
उत्तराखंड: प्रदेश सरकार एक तरफ निकाय चुनाव 25 अक्टूबर तक संम्पन कराने की बात हाईकोर्ट में कह चुकी है। वहीं दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण को लेकर जो विधेयक प्रदेश सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में लेकर आई थी वो विधायक प्रवर समिति के अधीन जाने से लग रहा है कि निकाय चुनाव में और देरी अब हो सकती है। उत्तराखंड की धामी सरकार जहां एक तरफ 25 अक्टूबर तक निकाय चुनाव संपन्न कराने की बात कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ निकायों में ओबीसी आरक्षण का जो मामला है उसमें पेच फंसता हुआ नजर आ रहा है। आपको बता दे कि निकायों में ओबीसी आरक्षण दिए जाने को लेकर सरकार जो विधेयक गैरसैंण में विधानसभा के मानसून सत्र में लेकर आई उसमें सत्ता पक्ष के विधायकों के द्वारा ही कई कमियों को उजागर कर दिया गया।
जिनमें भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान,प्रीतम सिंह पवार, दुर्गेश लाल ने कई कमियां उजागर ओबीसी आरक्षण को लेकर गिनाई। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा नगर निगमों में ओबीसी आरक्षण से सम्बंधित विधेयक को प्रवर समिति के अधीन कर दिया गया। लेकिन विपक्ष का कहना है कि सोची समझी साजिश के तहत सत्ता पक्ष के द्वारा ऐसा किया गया ताकि निकाय चुनाव में और देरी की जा सके।
सत्ता पक्ष पर लग रहे निकाय चुनाव टालने के आरोप..
सत्ता पक्ष पर निकाय चुनाव टालने के आरोप जहां इस विधेयक को लटकाए जाने से लग रहे हैं। तो वहीं कई सवाल वास्तव में सत्ता पक्ष पर भी खड़े होते हैं। पहला सवाल तो यही है कि जब कैबिनेट में ये विधेयक रखा गया और विधेयक पर चर्चा हुई तो तब क्यों कैबिनेट के सहयोगियों को इसमें कमियां नजर नहीं आई। दूसरा सवाल ये बनता है कि क्या वास्तव में निकाय चुनाव को डालने के लिए सत्ता पक्ष के द्वारा ऐसा किया गया ताकि एक तरफ सरकार ने 25 अक्टूबर तक चुनाव संपन्न करने का हवाला हाई कोर्ट में दिया तो वहीं दूसरी तरफ विधानसभा सत्र में ओबीसी आरक्षण का मामला लटका दिया ताकि चुनाव में देरी हो सके। इस सब के बीच इतना तय है कि मामला अब निकाय चुनाव का मामला और लटकता हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि एक महीने के भीतर प्रवर समिति अपनी रिपोर्ट देगी और उसके बाद विधानसभा का अब विशेष सत्र भी बुलाया जाएगा ताकि विधेयक को पास कराया जाए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने विपक्ष के आरोपों को बताया निराधार..
कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है की किसी तरीके का कोई कमी विधेयक में ना रहे इसको लेकर सत्ता पक्ष की विधायकों के द्वारा ही कई सकारात्मक सुझाव सदन में दिए गए। ऐसे में ये लोकतंत्र की मजबूती को भी दिखता है, कि सत्ता पक्ष के विधायकों के द्वारा ही विधेयक सुझाव बेहतर दिए गए हैं कि क्या बेहतर ओबीसी आरक्षण में हो सकता है। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि विपक्ष के आरोप निराधार बताया है। उन्होंने कहा है कि विपक्ष के आरोपों में दम होता तो विपक्ष जब ये विधेयक सदन में चर्चा के लिए रखा गया था तो उसे समय सदन से वॉकआउट करने की वजह सदन में चर्चा करते।
उत्तराखंड में निकाय चुनाव समय पर न कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। ऐसे में देखना ही होगा कि आखिरकार हाईकोर्ट अब नए ओबीसी आरक्षण के तहत चुनाव कराने कि फैसले पर बल देता है। या फिर पहले की तरह ही जिस ओबीसी आरक्षण के पैटर्न पर चुनाव हुआ था उसी के तहत चुनाव कराने पर भी क्या कोई निर्णय देता है। लेकिन इतना तय है कि अगर नए ओबीसी आरक्षण के तहत चुनाव हुए तो चुनाव में और देरी होना सम्भव है।
More Stories
केदारनाथ विधान सभा उप निर्वाचन में 57.64 फीसदी मतदान के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ मतदान..
दिल्ली बस संचालन में परेशानी, 100 बसें खरीद और 100 बसों के अनुबंध को सीएम धामी ने दी मंजूरी..
नगर पंचायत बद्रीनाथ ने कचरे से कमाए आठ लाख रुपये..