
उत्तराखंड में पवित्र चारधाम यात्रा 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। बद्रीनाथ धाम में हाल ही में हुई बर्फबारी के बाद सड़क पर जमी मोटी बर्फ को हटाने का कार्य शुरू हो गया है। सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा हनुमान चट्टी से बद्रीनाथ धाम तक की सड़कों को साफ किया जा रहा है। आगामी 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ होगा।
बर्फ हटाने के साथ तैयारियां शुरू
बद्रीनाथ धाम में कपाट खुलने से पहले मार्च के पहले सप्ताह से ही मास्टर प्लान के तहत काम करने वाले मजदूर, होटल व्यवसायी और व्यापारी यहां का रुख करने लगते हैं। इसके लिए न केवल सड़कों से बर्फ हटाई जा रही है, बल्कि बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं को भी दुरुस्त किया जा रहा है।
प्रशासन के अधिकारी जल्द ही बद्रीनाथ धाम पहुंचकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेंगे। यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों और स्थानीय व्यवसायियों को किसी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।
साधु-संतों का आगमन शुरू
कपाट खुलने से पूर्व ही बद्रीनाथ धाम में साधु-संतों का आना शुरू हो जाता है। साधु-संन्यासी अपने आश्रमों और मंदिरों में ठहराव करते हैं और तीर्थ यात्रियों के स्वागत के लिए तैयारियां करते हैं।
व्यवसायियों और यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम
बद्रीनाथ धाम में कपाट खुलने के साथ ही व्यापारियों, होटल व्यवसायियों और अन्य लोगों का आगमन तेज हो जाता है। प्रशासन इस बात का खास ध्यान रख रहा है कि यहां पहुंचने वाले लोगों को बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य बुनियादी सुविधाओं में कोई कमी न हो।
चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों की भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक तैयारियों को पहले ही मुकम्मल कर लिया जाता है। यात्री सुविधाओं के लिए विशेष शिविर, स्वास्थ्य सेवाएं, और यातायात नियंत्रण जैसी व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं।
चारधाम यात्रा का धार्मिक और आर्थिक महत्व
चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान देती है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन के लिए आते हैं, जिससे राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
बद्रीनाथ धाम में कपाट खुलने के बाद यहां श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ जाएगी। प्रशासन द्वारा सभी आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो और वे अपने धार्मिक यात्रा का पूर्ण आनंद ले सकें।
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