छह महीने, दस हजार से अधिक घटनाएं और 60 की मौत..
देश – दुनिया : पिछले छह महीनों के दौरान दिल्ली में आग की 10,350 से अधिक आग की घटनाएं हुई हैं। जुलाई में पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी इलाके में चार मंजिला इमारत में आग लगने के बाद दो महिलाओं सहित पांच लोगों को बचाया गया था। इस दौरान एक दमकलकर्मी भी घायल हो गया।
दिल्ली दमकल सेवा (डीएफएस) ने कहा कि पिछले छह महीनों के दौरान दिल्ली में आग की 10,350 से अधिक आग की घटनाएं हुई हैं। इनमें 60 लोगों की जान चली गई जबकि 395 घायल हो गए। डीएफएस नियंत्रण कक्ष इस साल ऑपरेटर के लिए काफी व्यस्त रहा। एक जनवरी से 30 जून के बीच 16,763 कॉलें आईं। इनमें 10,379 आग की जबकि 1,548 पशुओं और 1,805 कॉल पक्षियों के बचाव से संबंधित थे। इस दौरान करीब 100 कॉल व्यक्तियों के डूबने की घटनाओं से संबंधित थे।
दमकल अधिकारियों ने कहा कि इस साल कारखानों और जेजे (झुग्गी झोपड़ी) क्लस्टर में भी आग की कुछ बड़ी घटनाएं हुईं हैं। इस साल एक अप्रैल से 30 जून के बीच आग की सर्वाधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं। इस दौरान चिलचिलाती गर्मी और लू के कारण घटनाएं अधिक हुई हैं। डीएफएस के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा कि 1 जनवरी से 30 जून के बीच अग्निशमन विभाग ने 340 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, 239 उद्योगों सहित 89 जेजे क्लस्टर में अग्निशमन अभियान चलाया।
मई में बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में एक कारखाने में भीषण आग लगने से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई जबकि 16 घायल हो गए। इस घटना के कई मृतकों की पहचान के लिए डीएनए प्रोफाइलिंग का सहारा लेना पड़ा। इसके पूर्वोत्तर दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में 19 मई को लगी आग में 42 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि छह अन्य घायल हो गए।
गर्ग ने कहा कि इनमें से कई आग लोगों की लापरवाही और कभी-कभी प्रतिष्ठान मालिकों द्वारा परिसर में पर्याप्त वेंटिलेशन की सुविधा मुहैया न करने के कारण आग की घटनाएं हुई हैं। खासकर औद्योगिक क्षेत्रों और व्यावसायिक स्थलों पर आग से बचाव के लिए किए जाने वाले उपायों में इस तरह की कमियां मिलती हैं। कई बार परिसर में जली हुई सिगरेट छोड़ देने, परिसर में ढेर इकट्ठा करने, ओवरलोडिंग या शॉर्ट सर्किट सहित कई और वजहों से होती हैं। जिन प्रतिष्ठानों में आग लगने की सूचना मिली थी उनमें से अधिक के पास अनापत्ति प्रमाण पत्र( एनओसी) नहीं थे। तीन साल की वैधता समाप्त होने के बाद उन्हें नवीनीकृत नहीं किया गया।
तत्काल सूचना मिलने से हो सकता है बचाव..
गर्ग ने कहा कि आग की घटनाओं को नियंत्रित करने में तत्काल मिलने वाली सूचनाएं अहम हैं। लोगों को आत्मरक्षा के लिए तरीके से भी सुझाए गए हैं ताकि दमकल की गाड़ियों के मौके पर पहुंचने तक आग को बढ़ने से रोका जा सके। ऐसी घटनाओं को भी कम किया जा सकता है अगर परिसर मालिक अपने प्रतिष्ठानों के लेआउट के लिए अनुमोदन प्राप्त करते समय अग्निशमन विभाग से परामर्श लें। जून में प्लास्टिक के दानों के एक गोदाम में भड़की आग को याद करते हुए
अधिकारी ने कहा कि आग इतनी भीषण थी कि विस्फोट के बाद इमारत की तीसरी मंजिल ढह गई।
हाल ही में खरीदे गए रोबोट का भी आग बुझाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रतिष्ठान की वोल्टेज क्षमता की अनदेखी, हाई-वोल्टेज उपकरण और इकाइयों की संख्या में वृद्धि( एक जगह पर कई एयर कंडीशनर, मिक्सर, ग्राइंडर का उपयोग) से शॉर्ट-सर्किट भी आग लगने की वजह हो सकती है। जुलाई में, पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी इलाके में चार मंजिला इमारत में आग लगने के बाद दो महिलाओं सहित पांच लोगों को बचाया गया था। इस दौरान एक दमकलकर्मी भी घायल हो गया।
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