June 1, 2025

छात्रवृत्ति घोटाला- केंद्र ने मांगी रिपोर्ट, संदिग्ध स्कूलों की जिलेवार सूची भेजी गई..

छात्रवृत्ति घोटाला- केंद्र ने मांगी रिपोर्ट, संदिग्ध स्कूलों की जिलेवार सूची भेजी गई..

 

 

उत्तराखंड: राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए संचालित केंद्र पोषित छात्रवृत्ति योजना में गड़बड़ी की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए इसकी विस्तृत जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। शासन स्तर पर इस मामले को लेकर अब सतर्कता बरती जा रही है। सचिव अल्पसंख्यक कल्याण धीराज सिंह गर्ब्याल ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने जिलों में संचालित शिक्षण संस्थानों और स्कूलों में छात्रवृत्ति वितरण की समीक्षा और जांच कर एक माह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। सचिव गर्ब्याल ने स्पष्ट किया कि यदि जांच के दौरान किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता या फर्जीवाड़े की पुष्टि होती है तो संबंधित संस्थानों या व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस छात्रवृत्ति योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों को शैक्षणिक सहायता दी जाती है, ताकि वे बिना किसी आर्थिक बाधा के अपनी शिक्षा पूरी कर सकें। हाल ही में इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर कई जिलों से अनियमितता और फर्जी लाभार्थियों के नाम सामने आए थे, जिसके बाद शासन ने यह कार्रवाई शुरू की है। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति के पोर्टल के विश्लेषण में कतिपय संस्थान और स्कूल संदिग्ध पाए जाने के बाद सचिव ने 90 से अधिक संस्थानों और स्कूलों में विस्तृत जांच के आदेश दिए। इनमें से अधिकतर संस्थान देहरादून, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल जिले में हैं।

केंद्र पोषित अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में अनियमितताओं की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने जांच प्रक्रिया तेज कर दी है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव धीराज सिंह गर्ब्याल ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर जांच समिति गठन के निर्देश दिए हैं।सचिव द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार एसडीएम की अध्यक्षता में एक तीन-सदस्यीय समिति बनाई जाएगी, जिसमें संबंधित क्षेत्र के खंड शिक्षाधिकारी, सहायक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तथा सहायक समाज कल्याण अधिकारी को शामिल किया जाएगा। समिति को एक माह के भीतर पूरी जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। रिपोर्ट के आधार पर यदि किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता या कदाचार की पुष्टि होती है, तो संबंधित दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एफआईआर दर्ज करना भी शामिल है। यह जांच प्रदेश के विभिन्न स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को दी गई छात्रवृत्ति के वितरण और उपयोग की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने छात्रवृत्ति योजना में अनियमितताओं को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मंत्रालय ने वर्ष 2021–2022 और 2022–2023 के दौरान राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों का विश्लेषण कर कई संदिग्ध स्कूलों और शिक्षण संस्थानों की पहचान की है। इसके पश्चात मंत्रालय ने राज्यों को पत्र जारी कर इन संस्थानों की विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यदि जांच में धोखाधड़ी या वित्तीय अनियमितता की पुष्टि होती है तो संबंधित कार्मिकों पर विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। पत्र के साथ मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक का कार्यवृत्त और जिलेवार संदिग्ध संस्थानों की सूची भी राज्य सरकार को भेजी गई है। पत्र में यह भी कहा गया है कि अल्पसंख्यक छात्रों के लिए संचालित छात्रवृत्ति योजनाओं में हुई संभावित अनियमितताओं की जांच के लिए उप जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाए। इस समिति में खंड शिक्षाधिकारी, सहायक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तथा सहायक समाज कल्याण अधिकारी को शामिल किया जाएगा। इस समिति को एक माह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपनी होगी, जिसके आधार पर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह छात्रवृत्ति योजना तकनीकी, व्यावसायिक, हाईस्कूल उपरांत और पूर्व शिक्षा स्तर के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती है।

भौतिक निरीक्षण में गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई के निर्देश..
मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि यदि भौतिक निरीक्षण के दौरान किसी विद्यालय या शैक्षणिक संस्थान में धोखाधड़ी या निधियों का दुरुपयोग पाया जाता है, तो दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही अनिवार्य रूप से की जाए। मंत्रालय द्वारा भेजे गए निर्देश में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकारी स्कूलों/संस्थानों में यदि संस्था प्रमुख, संस्थान का नोडल अधिकारी और सभी आवेदक फर्जी पाए जाते हैं, तो उनके विरुद्ध प्रासंगिक धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की जाए। यह कार्रवाई केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि विधिक रूप से बाध्यकारी होगी। इसके साथ ही केंद्र ने राज्य शासन से एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) भी मांगी है, जिसे निर्धारित प्रारूप में भरकर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। यह पूरा मामला वर्ष 2021-22 और 2022-23 के छात्रवृत्ति आवेदनों के विश्लेषण के बाद सामने आया है, जिसमें कई संस्थान और आवेदक संदिग्ध पाए गए। इस संबंध में जिलेवार सूची और मंत्रालय की बैठक का कार्यवृत्त राज्य को भेजा गया है।राज्य सरकार ने पहले ही सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर जांच समिति गठित करने और एक माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दे दिए हैं। समितियों का नेतृत्व उप जिलाधिकारियों (एसडीएम) द्वारा किया जाएगा और इसमें खंड शिक्षाधिकारी, सहायक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और सहायक समाज कल्याण अधिकारी सदस्य होंगे।