उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए सरकार अब हर थाने में साइबर फोरेंसिक कमांडो तैनात करने जा रही है। पहले चरण में पूरे प्रदेश के 166 थानों में दो-दो साइबर कमांडो नियुक्त किए जाएंगे। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी (IT) की पृष्ठभूमि वाले 350 पुलिस कर्मियों का चयन किया जाएगा।
पिछले कुछ समय में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में तेजी आई है, जहां अपराधी नए तरीकों से लोगों की सालों की जमा-पूंजी कुछ ही मिनटों में साफ कर दे रहे हैं। ऐसे अपराधों की प्रभावी जांच के लिए राज्य में पहले ही साइबर क्राइम यूनिट कार्यरत है, लेकिन भारत न्याय संहिता लागू होने के बाद अब हर अपराध की जांच थाना स्तर से करना आवश्यक हो गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए साइबर फोरेंसिक कमांडो की तैनाती की जा रही है।
इन कमांडो का मुख्य कार्य होगा—
- अपराधों में इस्तेमाल मोबाइल, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, CCTV जैसे डिजिटल उपकरणों की वैज्ञानिक और फोरेंसिक जांच
- डिजिटल सबूतों का संरक्षण
- नेटवर्क ट्रैकिंग
- ऑनलाइन फ्रॉड, हैकिंग पैटर्न और डिजिटल ठगी का विश्लेषण
इसके लिए कमांडो को एडवांस साइबर तकनीकों, डिजिटल फोरेंसिक, नेटवर्किंग, थ्रेट इंटेलिजेंस और क्रिप्टोग्राफी में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि इन साइबर फोरेंसिक कमांडो की तैनाती से साइबर अपराधों की जांच न केवल तेज होगी, बल्कि अपराधियों तक पहुंचना भी आसान होगा। गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि पुलिस मुख्यालय के साथ बैठक हो चुकी है और इस योजना को जल्द ही जमीन पर उतारने की दिशा में काम तेज किया जा रहा है।

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