तीन साल बाद सार्वजनिक हुई मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट..
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी थी सूचना..
उत्तराखंड: आरटीआई कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगी तो तीन साल के बाद मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक हो पाई। काशीपुर निवासी कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने मानवाधिकार आयोग की सरकार को प्रस्तुत वार्षिक रिपोर्ट, विशेष रिपार्ट, इस पर कार्रवाई और उन्हें विधानसभा में रखने से संबंधित सूचना मांगी थी। लोक सूचना अधिकारी ने पहले तो इसके लिए 260 रुपये शुल्क मांगा।
जब वह दे दिया गया तो उन्हें इसे सुरक्षा व गोपनीयता के चलते देने से इनकार कर दिया गया। इस पर नदीमउद्दीन ने सूचना आयोग के सूचना आयुक्त विपिन चंद्र की पीठ के सामने द्वितीय अपील की। इसकी सुनवाई के बाद सूचना आयुक्त ने माना कि तत्कालीन सूचना अधिकारी धीरज कुमार, वर्तमान अधिकारी धर्मेंद्र कुमार द्विवेदी ने अपने दायित्वों का अनुपालन ठीक से नहीं किया।
उन्होंने इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। मामले में पता चला कि 2012 से 2018 और 2019 की रुकी हुई रिपोर्ट इस बीच तैयार करने के बाद विधानसभा के पटल पर रखी दी गई है। यह रिपोर्ट 2018 से अटकी हुई थी जो कि आरटीआई में सूचना मांगे जाने के बाद इस बार हुए विधानसभा के ग्रीष्मकालीन सत्र में पटल पर रखी गई।
अब मामले में सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने लोक सूचना अधिकारी को आदेश दिए हैं कि वह आरटीआई की कॉपी दस दिन के भीतर डाक के माध्यम से आरटीआई कार्यकर्ता को उपलब्ध कराएं।
More Stories
केदारनाथ विधान सभा उप निर्वाचन में 57.64 फीसदी मतदान के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ मतदान..
दिल्ली बस संचालन में परेशानी, 100 बसें खरीद और 100 बसों के अनुबंध को सीएम धामी ने दी मंजूरी..
नगर पंचायत बद्रीनाथ ने कचरे से कमाए आठ लाख रुपये..