August 13, 2025

धराली में राहत-बचाव अभियान तेज, 1300 लोग सुरक्षित निकाले गए..

धराली में राहत-बचाव अभियान तेज, 1300 लोग सुरक्षित निकाले गए..

 

 

 

उत्तराखंड: धराली आपदा प्रभावित धराली में राहत और बचाव कार्य जारी रहा। एनडीआरएफ के कंट्रोल रूम के साथ इंसीडेंट कमांड पोस्ट स्थापित कर पूरे प्रभावित क्षेत्र को चार सेक्टरों में विभाजित किया गया है, ताकि राहत कार्य तेजी और व्यवस्थित तरीके से हो सके। प्रशासन का कहना है कि अब तक करीब 1300 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है और संभावना है कि अधिकांश फंसे हुए लोगों का रेस्क्यू पूरा हो गया है। प्रभावित क्षेत्र में सेक्टर-ए की जिम्मेदारी एनडीआरएफ, सेक्टर-बी की सेना, सेक्टर-सी की एसडीआरएफ और सेक्टर-डी की जिम्मेदारी आईटीबीपी को दी गई है। वहीं रोड सेक्टर की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (लोनिवि), बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) और बीजीबी रुड़की को सौंपी गई है। इन सभी एजेंसियों के संयुक्त प्रयास से सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। सोमवार को राहत सामग्री के रूप में 635 पैकेट सूखा राशन प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया, जिससे जरूरतमंद परिवारों को त्वरित सहायता मिल सके। प्रशासन का कहना हैं कि सभी टीमें मौके पर डटी हुई हैं और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त संसाधन भी भेजे जाएंगे।

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि हर्षिल में एयरटेल, जियो और बीएसएनएल की मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल कर दी गई है, जिससे संचार व्यवस्था सुचारू हो गई है। हर्षिल की माइक्रो हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना में विद्युत उत्पादन फिर से शुरू हो गया है और पावर हाउस तक बिजली पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि मौके पर एनडीआरएफ के छह और एसडीआरएफ के चार ड्रोन से प्रभावित क्षेत्रों की लगातार निगरानी की जा रही है। हालांकि, खराब मौसम के कारण यूकाडा के हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सके हैं, जिससे हवाई राहत कार्य फिलहाल प्रभावित हुए हैं। मौसम में सुधार होते ही हवाई आपूर्ति और रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू कर दिए जाएंगे।

एनजीआरआई के इंजीनियर जीपीआर के साथ जुटे..

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन का कहना हैं कि धराली में चल रहे राहत और बचाव कार्यों में और तेजी लाई गई है। मौके पर नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) के पांच इंजीनियर पहुंचे हैं, जिन्होंने ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार (GPR) तकनीक के माध्यम से सर्वे शुरू कर दिया है, ताकि मलबे के नीचे फंसे संभावित लोगों या संरचनाओं का पता लगाया जा सके। अधिकारियों के अनुसार प्रभावित क्षेत्र में इस समय पांच जेसीबी, तीन एस्कवेटर, दो डोजर और 10 टिप्परों की मदद से लगातार मलबा हटाने और खोज अभियान संचालित किया जा रहा है। बिजली आपूर्ति के लिए एक जनरेटर भी उपलब्ध कराया गया है। एनडीआरएफ की टीम उन्नत उपकरणों का प्रयोग कर रही है, जिसमें एक विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, चार लाइव डिटेक्टर और एक एक्सो थर्मल कटिंग डिवाइस शामिल हैं, जिससे रेस्क्यू कार्यों की गति बढ़ी है।

सचिव सुमन ने यह भी जानकारी दी कि हर्षिल में भागीरथी नदी में बनी झील से पानी की निकासी के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम भेजी गई है। सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष सुभाष कुमार ने कहा कि श्रमिक और इंजीनियर मौके पर पहुंच चुके हैं। यह दल मैनुअल तरीके से झील में जमा मलबा हटाकर जल निकासी की क्षमता को बढ़ाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि दल के साथ सभी जरूरी सुरक्षा उपकरण और संसाधन भी भेजे गए हैं, ताकि कार्य सुरक्षित और प्रभावी ढंग से हो सके। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि राहत-बचाव अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी संभावित जोखिम पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाते और प्रभावित क्षेत्र सामान्य स्थिति में नहीं लौट आता।