July 30, 2025

सौर परियोजनाओं पर नियामक आयोग का बड़ा फैसला, 12 फर्मों की पुनर्विचार याचिका खारिज, परियोजना आवंटन रद्द..

सौर परियोजनाओं पर नियामक आयोग का बड़ा फैसला, 12 फर्मों की पुनर्विचार याचिका खारिज, परियोजना आवंटन रद्द..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड की सौर ऊर्जा नीति 2013 के तहत सोलर परियोजनाएं हासिल करने वाली 12 निजी कंपनियों को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) से बड़ा झटका लगा है। आयोग ने इन फर्मों की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है, जिसके तहत उन्होंने परियोजना आवंटन रद्द किए जाने को चुनौती दी थी। इन फर्मों को उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (UREDA) द्वारा वर्ष 2019-20 में निविदा प्रक्रिया के तहत सौर ऊर्जा परियोजनाएं आवंटित की गई थीं। नीति के अनुसार उन्हें करीब एक वर्ष के भीतर अपनी सोलर परियोजनाओं को क्रियान्वित करना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उरेडा द्वारा निर्माण अवधि बढ़ाई गई, फिर भी फर्में परियोजनाएं समय से पूरी नहीं कर सकीं। इसके बाद नियामक आयोग ने परियोजनाओं के आवंटन को रद्द कर दिया था। UERC के इस फैसले से इन कंपनियों को राज्य में भविष्य की परियोजनाओं के लिए भी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि नियामक स्तर पर पुनर्विचार की सभी संभावनाएं अब समाप्त हो चुकी हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ कंपनियां अब इस फैसले को लेकर उच्च न्यायालय का रुख करने की तैयारी कर रही हैं। वहीं UREDA का कहना है कि राज्य सरकार की नई सौर ऊर्जा नीति के तहत पारदर्शी और समयबद्ध परियोजना क्रियान्वयन को प्राथमिकता दी जाएगी।

उरेडा ने बाद में इनके निर्माण की अवधि 31 मार्च 2024 तक और फिर 31 दिसंबर 2024 तक भी बढ़ाई, जिस पर नियामक आयोग को बढ़ाने का आधार स्पष्ट नहीं बता पाए। फर्मों ने निर्माण की अवधि फिर बढ़ाने की मांग की तो उरेडा इस मामले में नियामक आयोग पहुंचा था। आयोग ने सभी पहलुओं को परखा। सभी परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट ली। इस निर्णय से इन फर्मों के लिए उत्तराखंड में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भविष्य की संभावनाएं सीमित हो सकती हैं। वहीं UREDA ने संकेत दिए हैं कि राज्य की नई सौर ऊर्जा नीति के तहत अब केवल उन्हीं कंपनियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से परियोजनाएं पूरी करने में सक्षम हों।

 

आयोग द्वारा प्रगति रिपोर्ट मंगवाने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। दो कंपनियों ने लीज के लिए एक ही बैंक खाता प्रस्तुत किया। दो फर्मों ने एक ही जमीन के अलग-अलग कोनों से गूगल मैपिंग कर भिन्न लोकेशन दर्शाई। कई फर्मों के पास न तो जमीन पूरी थी, न ही ऋण प्रक्रिया शुरू की गई थी। इन गड़बड़ियों को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने 27 मार्च को स्वत: संज्ञान लिया और सभी परियोजना आवंटन रद्द कर दिए। इसके बाद सभी फर्मों ने मिलकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की, जिसे अब आयोग ने खारिज कर दिया है। आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद, सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने माना कि पुनर्विचार में कोई भी फर्म नया तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाई। उरेडा और यूपीसीएल के जवाब भी निराशाजनक पाए गए। लिहाजा, पीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। चौंकाने वाली बात ये भी है कि अब तक इन परियोजनाओं के लिए न तो पूरी जमीन है और न ही ऋण की प्रक्रिया अमल में लाई गई है। इस मामले से स्पष्ट है कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की गंभीर कमी रही, और शासन को ऐसी अनियमितताओं पर कड़ा रुख अपनाने की ज़रूरत है। ऊर्जा नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रकरण राज्य की नई सौर नीति निर्माण में पारदर्शिता, निगरानी और जवाबदेही के महत्वपूर्ण संकेत देता है। अब निगाहें इस पर हैं कि सरकार अगली निविदा प्रक्रिया को कैसे पारदर्शी और समयबद्ध बनाती है। पीपीएम सोलर एनर्जी, एआर सन टेक, पशुपति सोलर एनर्जी, दून वैली सोलर पावर, मदन सिंह जीना, दारदौर टेक्नोलॉजी, एसआरए सोलर एनर्जी, प्रिस्की टेक्नोलॉजी, हर्षित सोलर एनर्जी, जीसीएस सोलर एनर्जी, देवेंद्र एंड संस एनर्जी, डेलीहंट एनर्जी।

उत्तराखंड में सौर ऊर्जा नीति 2023 लागू होने के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2027 तक 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसी बीच नीति-2013 के तहत आवंटित 12 सौर परियोजनाएं (कुल क्षमता 15.5 मेगावाट) रद्द होने से लक्ष्य को आंशिक झटका जरूर लगा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक दृष्टि से यह निर्णय व्यावहारिक और आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है। बता दे कि ये परियोजनाएं 2019-20 में आवंटित की गई थीं और इन्हें एक वर्ष में क्रियान्वित किया जाना था, लेकिन समय पर निर्माण नहीं हो सका। जब तक प्रगति नहीं हुई, परियोजना की पुरानी दरों पर बिजली बेचने की शर्तें बनी रहीं, जिससे उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता। ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब ध्यान नई नीति के तहत निवेशकों को पारदर्शी और समयबद्ध रूप से अवसर देने पर है। पुराने प्रोजेक्ट्स से उपजे अनुभवों से सीखकर आगे की प्रक्रिया ज्यादा मजबूत बनाई जाएगी।” राज्य सरकार की नई सौर नीति 2023 में निजी निवेश, भूमि उपलब्धता, और समयसीमा पर विशेष ज़ोर दिया गया है। यह भी तय किया गया है कि भविष्य में यूपीसीएल केवल न्यायसंगत टैरिफ दरों पर ही बिजली खरीद करेगा, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।