
समाजसेवा में अनुकरणीय योगदान के लिए राधा भट्ट को मिला पद्मश्री सम्मान..
उत्तराखंड: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में उत्तराखंड की तीन विशिष्ट हस्तियों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राधा भट्ट को पद्मश्री से नवाज़ा गया। वहीं, ह्यूग गैंट्ज़र और कोलीन गैंट्ज़र (मरणोपरांत) को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया गया। बता दे कि राधा भट्ट वर्षों से ग्राम स्वराज, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। गैंट्ज़र दंपत्ति ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन को साहित्य के माध्यम से विश्व मंच पर पहचान दिलाई। यह सम्मान देश के उन नागरिकों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा और योगदान दिया हो।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में उत्तराखंड की प्रसिद्ध समाजसेविका राधा भट्ट को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में उनके दशकों के योगदान के लिए प्रदान किया गया। राधा भट्ट का जीवन गांधीवादी विचारधारा और सेवा भावना का प्रतीक रहा है। वे मात्र 16 वर्ष की उम्र में सरला बेन के आश्रम में शामिल हो गई थीं, जहाँ से उनके सामाजिक कार्यों की यात्रा प्रारंभ हुई। उन्होंने उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण के लिए सतत कार्य किया है। उन्होंने बेरीनाग ग्राम स्वराज्य मंडल की स्थापना की, जिसके माध्यम से उन्होंने सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्यक्रम चलाए। यह मंडल आज भी ग्रामीण समुदायों के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। राधा भट्ट 1975 के दशक में हुए चिपको आंदोलन में भी सक्रिय रहीं, जो भारत के पर्यावरण संरक्षण आंदोलन का एक ऐतिहासिक अध्याय माना जाता है। उनकी सेवाओं को पूर्व में भी जमनालाल बजाज पुरस्कार, गोदावरी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शिनी पर्यावरण पुरस्कार (भारत सरकार), मुनि संतबल पुरस्कार, स्वामी राम मानवतावादी पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। पद्मश्री से सम्मानित होकर राधा भट्ट ने न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का कार्य किया है। उनके कार्य सामाजिक समरसता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरणीय चेतना की मिसाल हैं।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह के दौरान उत्तराखंड से जुड़े प्रसिद्ध यात्रा वृतांत लेखकों ह्यूग गैंट्ज़र और उनकी पत्नी स्व. कोलीन गैंट्ज़र को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान स्व. कोलीन को मरणोपरांत प्रदान किया गया। ह्यूग गैंट्ज़र, जो भारतीय नौसेना में कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, ने सेवानिवृत्ति के बाद अपनी पत्नी कोलीन के साथ मिलकर यात्रा वृतांत लेखन की एक नई दिशा स्थापित की। इस जोड़ी को उत्तराखंड सहित भारत के विभिन्न राज्यों की संस्कृति, परंपराओं और पर्यटन स्थलों को गहराई से प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है। गैंट्ज़र दंपत्ति ने 3,000 से अधिक लेख, कॉलम और फीचर स्टोरीज़ लिखीं, जो देश-विदेश की प्रमुख पत्रिकाओं और समाचारपत्रों में प्रकाशित हुईं। इसके साथ ही उन्होंने 30 से अधिक पुस्तकें भी लिखीं, जो भारत की विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य को शब्दों के माध्यम से जीवंत करती हैं।
उनकी लेखनी ने उत्तराखंड के अल्पज्ञात स्थानों को नई पहचान दिलाई और राज्य के पर्यटन विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शैली में तथ्यों, अनुभवों और मानवीय दृष्टिकोण का अद्भुत समन्वय देखा गया। स्व. कोलीन गैंट्ज़र के निधन के बाद भी ह्यूग गैंट्ज़र लेखन से जुड़े रहे और भारत की विविध विरासत को सहेजने का कार्य करते रहे हैं। यह पद्म सम्मान गैंट्ज़र दंपत्ति की लेखनी को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करता है, और यात्रा साहित्य को एक गंभीर विधा के रूप में स्थापित करने के उनके प्रयासों को सम्मानित करता है।
More Stories
महिला शक्ति बनेगी आपदा प्रबंधन की अग्रिम पंक्ति, उत्तराखंड में शुरू होगी ‘आपदा सखी योजना’..
उत्तराखंड में प्राकृतिक खेती से महकेगा कपूर, किसानों को मिलेगा जंगली जानवरों से राहत का विकल्प..
केदारनाथ यात्रा ने एक माह में छूआ 200 करोड़ का आंकड़ा, हेली सेवा और घोड़ा-खच्चर से रिकॉर्ड कमाई..