उत्तराखंड में यहां खुली मिलेट बेकरी आउटलेट..
मंडुआ-झंगोरा के पिज्जा,ब्रेड सहित मिलेगा ये सब कुछ..
उत्तराखंड: भारत खुद तो मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक है ही, देश में मिलेट की खपत भी काफी ज्यादा हैं वैसे तो मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, रागी, कटकी, कोदो, कंगनी, चेना, कोदरा, ब्रूम कॉर्न, सांवा, हरी कंगनी, कुट्टू, राजगिरा आदि प्रमुखता से शामिल है, इन अनाजों को नई पहचान देने और राज्य के मोटे अनाजों पर आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय परिसर मे मिलेट बेकरी आउटलेट का उद्घाटन किया। मिलेट बेकरी में मंडुआ तथा झंगोरा के प्रसंस्करण कर बिस्किट, ब्रेड तथा पिज्जा बेस व अन्य उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं।
आपको बता दें कि महिला स्वयं सहायता समूहों की आजीविका में वृद्धि करने और मोटे अनाज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मिलेट बैकरी शुरू की गयी है। राज्य में ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय मंडुआ, झंगोरा, ज्वार, चौलाई इत्यादि अनाजों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। ऐसे में इसकी खपत के लिए देहरादून के रायपुर ब्लॉक व पौड़ी जिले के पौड़ी ब्लॉक में दो मिलेट उत्पादों की बेकरी शुरू की गई है। मिलेट बेकरी में मंडुआ व झंगोरा का प्रसंस्करण कर बिस्किट, ब्रेड व पिज्जा बेस व अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। सीएम धामी ने इसका उद्घाटन कर कहा कि राज्य के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
गौरतलब है कि जिस मिलेट्स यानी मोटे अनाज के पीछे आज पूरी दुनिया भाग रही है वह कभी उत्तराखंड का मुख्य भोजन था और आज भी उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में इसकी खेती पारंपरिक तरीके से ही की जाती है। मिलेट्स यानी मोटा अनाज दुनिया के सबसे पुराने उत्पादित अनाजों में से हैं। हजारों साल पहले पूरे अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में मिलेट्स उगाए जाते थे. इनका उपयोग अनेक तरह के खाद्य और पेय पदार्थ बनाने में किया जाता था। इस साल को अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 मनाया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत स्थानीय मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में अनेक कार्यक्रम किये जा रहे हैं।
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