September 6, 2025

12.5% घटा मातृ मृत्यु अनुपात, सुरक्षित मातृत्व की दिशा में उत्तराखंड ने बढ़ाया कदम..

12.5% घटा मातृ मृत्यु अनुपात, सुरक्षित मातृत्व की दिशा में उत्तराखंड ने बढ़ाया कदम..

 

उत्तराखंड: मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार की ओर से जारी मातृ मृत्यु पर विशेष बुलेटिन के अनुसार, प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) 2020–22 में 104 से घटकर 2021–23 में 91 हो गया है। यानी प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में पिछले सालों की तुलना में 13 अंकों की कमी और लगभग 12.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यह उपलब्धि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और मातृ देखभाल पर विशेष जोर देने का परिणाम मानी जा रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की समर्पित नीतियों, स्वास्थ्य कर्मियों के अथक प्रयासों और सामुदायिक सहभागिता का नतीजा है। उन्होंने मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त बनाने के लिए सतत प्रयास जारी रखने का संकल्प भी दोहराया। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए संचालित योजनाएं, जैसे कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, प्रसवपूर्व एवं प्रसवोत्तर जांच, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका, और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना, मातृ मृत्यु दर में गिरावट लाने में कारगर साबित हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आने वाले समय में अधिक मेडिकल स्टाफ की तैनाती, आपातकालीन मातृ देखभाल केंद्रों का सुदृढ़ीकरण और दूरस्थ क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सीएम धामी ने कहा कि मातृ स्वास्थ्य केवल स्वास्थ्य विभाग का ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। सरकार का लक्ष्य है कि कोई भी गर्भवती महिला समय पर चिकित्सा सुविधा से वंचित न रह सके और मातृ मृत्यु दर को राष्ट्रीय औसत से भी नीचे लाया जा सके।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा कि मातृ स्वास्थ्य राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि केवल सरकारी योजनाओं का ही नहीं बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों, सरकारी संस्थानों और सामुदायिक भागीदारों के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है।स्वास्थ्य सचिव ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का लक्ष्य मातृ मृत्यु दर को और कम करना है। उन्होंने कहा कि हर गर्भवती महिला को सुरक्षित और सम्मानजनक प्रसव सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी मां रोके जा सकने वाले कारणों से अपनी जान न गंवाए।उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में उत्तराखंड को ‘सुरक्षित मातृत्व का आदर्श राज्य’ बनाने की दिशा में और ठोस कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए न केवल बेहतर अस्पताल सुविधाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी, बल्कि दूरस्थ इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को भी प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु निगरानी एवं प्रतिक्रिया के तहत प्रत्येक मातृ मृत्यु की समयबद्ध सूचना और गहन विश्लेषण के आधार पर तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई करना है। जन्म-तैयारी एवं जटिलता प्रबंधन (BPCR) के तहत गर्भवती महिलाओं व परिवारों में जोखिम-चिन्हों की जल्द पहचान और आपात स्थितियों में तत्परता दिखाना है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार गुणवत्ता सुधार के तहत प्रसव कक्ष और मातृत्व ऑपरेशन थियेटर को लक्ष्य-प्रमाणित बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि माताओं को डिलीवरी के दौरान सुरक्षित वातावरण और उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। सामुदायिक सहभागिता के तहत आशा, एएनएम और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) का मजबूत नेटवर्क तैयार किया गया है। इनके माध्यम से अंतिम छोर तक एएनसी और पीएनसी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच, देखभाल और प्रसवोत्तर सेवाएं सुनिश्चित हो रही हैं। वहीं संस्थान-आधारित प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार जननी सुरक्षा योजना (JSY) और जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) को और बेहतर ढंग से लागू कर रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को निःशुल्क एवं समावेशी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें जांच, दवा, प्रसव सेवाओं से लेकर परिवहन तक की सुविधा शामिल है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इन पहलों का उद्देश्य केवल मातृ मृत्यु दर को घटाना ही नहीं है, बल्कि महिलाओं और नवजात शिशुओं को सुरक्षित मातृत्व और स्वस्थ जीवन की गारंटी देना भी है। सीएम धामी ने हाल ही में कहा था कि मातृ स्वास्थ्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और इस दिशा में हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

 

आपातकालीन स्थिति में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को तुरंत सहायता मिले इसके लिए 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं का सशक्तिकरण किया जा रहा है। इन सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए जल्द ही जीपीएस आधारित रेफरल प्रोटोकॉल लागू किया जाएगा। इससे मरीजों को नजदीकी उपलब्ध अस्पताल तक तेज़ और सुरक्षित परिवहन की सुविधा मिल सकेगी। इसके साथ ही राज्य में पल्स एनीमिया मेगा अभियान भी चलाया जा रहा है। अभियान के पहले चरण में 57 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की हीमोग्लोबिन जांच की गई है और उनकी स्थिति के अनुसार उपचार प्रदान किया गया है। अब अभियान का दूसरा चरण सामुदायिक स्तर पर शुरू किया जा रहा है, जिसमें व्यापक स्क्रीनिंग और समय पर उपचार पर विशेष जोर दिया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को और कम करना है। इसके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता के साथ-साथ समुदाय-आधारित सेवाओं, आपातकालीन प्रबंधन और रोग-निवारक उपायों पर बराबर ध्यान दिया जा रहा है। सीएम धामी ने भी हाल ही में कहा था कि मातृ स्वास्थ्य राज्य की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है। सरकार की मंशा है कि कोई भी गर्भवती महिला समय पर जांच, सुरक्षित प्रसव और आवश्यक चिकित्सा सुविधा से वंचित न रह सके।