
चारधाम यात्रा बनी मातृशक्ति की आत्मनिर्भरता का आधार..
उत्तराखंड: केदारनाथ यात्रा केवल आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का प्रभावशाली माध्यम भी बन रही है। इस वर्ष ग्रामोत्थान परियोजना के तहत जिले में गठित महिला स्वयं सहायता समूहों ने केदारनाथ स्मृति चिह्न (सोविनियर) की बिक्री से अब तक 10.44 लाख रुपये का कारोबार किया है। इन महिला समूहों को इस कारोबार से करीब साढ़े तीन लाख रुपये का मुनाफा हुआ है, जो उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में नई ऊर्जा दे रहा है। यह पहल स्थानीय महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है, बल्कि उन्हें स्थानीय संस्कृति और धार्मिक पर्यटन से जोड़ते हुए स्थायी आजीविका भी प्रदान कर रही है। जिला प्रशासन और संबंधित विभागों के सहयोग से संचालित यह योजना यह दिखाती है कि चारधाम यात्रा जैसे बड़े आयोजन सामाजिक और आर्थिक बदलाव का जरिया भी बन सकते हैं। स्मृति चिह्नों में केदारनाथ मंदिर की आकृति, पूजा सामग्री, लोक शिल्प और पारंपरिक हस्तकला उत्पादों को विशेष रूप से शामिल किया गया है। ग्रामोत्थान परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को उद्यमशीलता से जोड़ना और उन्हें आय सृजन के अवसर उपलब्ध कराना है, जिसमें केदारनाथ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों की बड़ी भूमिका बन रही है।
वर्ष 2019 से एक अनोखी पहल के तहत महिलाओं को केदारनाथ यात्रा से जोड़ा गया, जिसमें स्थानीय उत्पादों से प्रसाद तैयार करने की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंपी गई थी। यह प्रयोग न केवल सफल रहा, बल्कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी अहम साबित हुआ। पिछले छह वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला समूहों द्वारा केदारनाथ यात्रा के लिए प्रसाद और मंदिर प्रतीक (सोविनियर) तैयार किए जा रहे हैं। इन समूहों द्वारा बनाए गए उत्पाद यात्रियों के बीच विशेष लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं, जिससे इन समूहों को नियमित आय का स्रोत भी मिला है। इस पहल को ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत लगातार प्रोत्साहित किया गया है। स्मृति चिह्नों में मंदिर की आकृति, धार्मिक कलाकृतियां, स्थानीय शिल्प और पारंपरिक उत्पाद शामिल हैं, जिन्हें यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा खूब सराहा जा रहा है।
महिलाएं केदारनाथ मंदिर के सोविनियर तैयार कर रही
केदारनाथ यात्रा अब मातृशक्ति को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणादायक मिसाल बन रही है। ग्रामोत्थान परियोजना के तहत चल रही पहल से जहां महिलाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, वहीं उनकी आजीविका भी सुदृढ़ हो रही है। इसी क्रम में चंदनगंगा आजीविका स्वायत्त सहकारिता ने ईष्ट घंडियाल उत्पादक समूह बडेथ के साथ मिलकर सामुदायिक आधारित उद्यम की स्थापना की है। यह उद्यम अगस्त्यमुनि के सरल केंद्र में संचालित हो रहा है, जहाँ स्थानीय महिलाएं केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक स्मृति चिह्न (सोविनियर) तैयार कर रही हैं। इन स्मृति चिह्नों में केदारनाथ मंदिर की आकृति, पारंपरिक धार्मिक शिल्पकला, स्थानीय हस्तशिल्प और प्राकृतिक उत्पादों का समावेश होता है, जिन्हें श्रद्धालु यात्रा के दौरान खरीदते हैं। इससे न केवल महिला समूहों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है, बल्कि वे स्थानीय संस्कृति और धार्मिक पर्यटन से भी सक्रिय रूप से जुड़ रही हैं। परियोजना से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि इस पहल से उन्हें स्वरोजगार का अवसर मिला है, जिससे वे अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग देने में सक्षम हो सकी हैं।
चारधाम यात्रा के साथ-साथ अब गांव की महिलाएं भी डिजिटल दक्षता और हस्तकला के संगम से आत्मनिर्भरता की नई मिसाल गढ़ रही हैं। ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत स्थापित सामुदायिक उद्यम में 15 महिलाओं का समूह केदारनाथ मंदिर के आकर्षक प्रतीक (सोविनियर) तैयार कर रहा है, जो श्रद्धालुओं के बीच खासे लोकप्रिय हो रहे हैं। कंप्यूटराइज्ड मशीनों की मदद से महिलाएं पहले डिज़ाइन के अलग-अलग हिस्सों को तैयार करती हैं और फिर उन्हें जोड़कर अलग-अलग माप के प्रतीक तैयार करती हैं। सजावट और फिनिशिंग के बाद ये प्रतीक न केवल देखने में सुंदर होते हैं, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था का स्मरण चिह्न भी बनते हैं। प्रत्येक प्रतीक को तैयार करने में महिलाओं को 15 से 20 मिनट का समय लगता है। अब तक 20750 प्रतीक तैयार किए जा चुके हैं, जिनकी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से बिक्री हो चुकी है। यह बिक्री न केवल महिलाओं के लिए स्थायी आय का स्रोत बन रही है, बल्कि स्थानीय उत्पादों की मांग को भी बढ़ावा दे रही है। सभी प्रतीकों का निर्माण अगस्त्यमुनि के सरल केंद्र में हो रहा है, जहां महिलाएं पूरी लगन और तकनीकी दक्षता के साथ कार्य कर रही हैं। इस पहल से महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण, समूहिक सहयोग, और स्वावलंबन की भावना भी मिली है।
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