November 22, 2024

जयकारों के साथ केदारनाथ धाम के लिए बाबा केदार की उत्सव डोली ने किया प्रस्थान..

जयकारों के साथ केदारनाथ धाम के लिए बाबा केदार की उत्सव डोली ने किया प्रस्थान..

 

 

 

 

उत्तराखंड: पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से बाबा केदार की पंचमुखी प्रतिमा अपने ग्रीष्मकालीन पड़ाव केदारनाथ के लिए रवाना हो गई है। सोमवार सुबह पूजा अर्चना के बाद डोली को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर सभा मंडप में विराजमान लाया। जिसमें हक हकूकधारियों की ओर से भगवान की चल उत्सवह विग्रह डोली का श्रृंगार किया गया। इसके बाद मंदिर की तीन परिक्रमा कर डोली ने अपने अगले गंतव्य की ओर प्रस्थान किया। सोमवार को डोली गुप्तकाशी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी। इसके बाद सात मई को डोली फाटा, आठ मई को गौरीमाई मंदिर गौरीकुंड और नौ मई को डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। 10 मई को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनाथ के लिए खोले जाएंगे।

वहीं इससे पहले रविवार को ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ की यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए केदारनाथ के अग्रणी क्षेत्रपाल के रुप में पूजे जाने वाले भगवान भैंरवनाथ की पूजा अर्चना की गई। ऊखीमठ में देर सांय तक चली पूजा अर्चना में भैंरवनाथ की अष्टादश आरती उतारी गई। भैंरवनाथ की विशेष पूजा अर्चना के साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की पक्रिया शुरू हो गई है। पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्व मंदिर ऊखीमठ से भगवान केदारनाथ की डोली के धाम के लिए प्रस्थान करने पूर्व संध्या पर ओंकारेश्वर मंदिर स्थित भैंरवनाथ मंदिर में भैंरवनाथ की विशेष पूजा अर्चना संपन्न हुई।

केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग जी महाराज की मौजूदगी में धाम के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी शिवं शंकर लिंग ने भगवान भैंरवनाथ का अभिषेख किया। साथ ही पंचामृत अभिषेेख, रुद्राभिषेेख के साथ पूरी पकोड़ी से माला से भैंरवनाथ का श्रृंगार किया गया। बाल भोग के बाद भगवान भैंरवनाथ को महाभोग लगाया गया। रावल भीमाशंकर लिंग की अगुवाई में पुजारी शिवशंकर लिंग, बागेश लिंग, गंगाधर लिंग, शिवलिंग ने अष्टादश आरती उतारी, जबकि मंदिर के वेदपाठी यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, नवीन मैठाणी, आशाराम नौटियाल के वेद मंत्रोच्चारण के बीच सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया। रावल भीमाशंकर लिंग ने धाम के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग को भैंरवनाथ के समक्ष धाम के लिए आगामी छह माह के पूजा का संकल्प दिलाते हुए आशीर्वाद दिया। जिसके बाद मौजूद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान ओंकारेश्वर मंदिर को आठ कुंतल फूलों से सजाया गया था।