
चारधाम यात्रा में नई रफ्तार, आज से ट्रायल में केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर करेंगे शुरुआत..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ जाने वाले यात्रियों की सुविधाओं और पशुओं की सेहत को लेकर सरकार सतर्क है। केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग में शुक्रवार को उत्तराखंड सरकार के पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने यात्री व्यवस्थाओं और पशु प्रबंधन का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की रोकथाम और घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य परीक्षण की स्थिति की समीक्षा की। मंत्री बहुगुणा ने जानकारी दी कि गौरीकुंड में स्वस्थ घोषित किए गए घोड़ा-खच्चरों का परीक्षण पूरा हो चुका है, और अब इन्हें 9 मई से ट्रायल के रूप में संचालन की अनुमति दी जाएगी। मंत्री बहुगुणा ने कहा कि गौरीकुंड में स्वास्थ्य परीक्षण में पास हुए घोड़ा-खच्चरों का ट्रायल संचालन 9 मई से शुरू होगा, जिसमें इनका उपयोग राशन सामग्री की ढुलाई के लिए किया जाएगा।उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि संक्रमण की कोई संभावना न रहे और सभी जानवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाए। यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए मंत्री ने कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बृहस्पतिवार को सोनप्रयाग पहुंचे उत्तराखंड के पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और अधिकारियों के साथ बैठक कर महत्वपूर्ण निर्देश दिए।मंत्री ने कहा कि गौरीकुंड में स्वास्थ्य परीक्षण में उत्तीर्ण घोड़ा-खच्चरों का ट्रायल संचालन 9 मई से प्रारंभ होगा। पहले चरण में इनका उपयोग केदारनाथ तक राशन सामग्री पहुंचाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य की सीमाओं से आने वाले किसी भी पशु को बिना स्वास्थ्य परीक्षण यात्रा में शामिल नहीं किया जाएगा। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने, तथा गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच चार अस्थायी पशु चिकित्सालय स्थापित करने के निर्देश दिए। इन केंद्रों पर 15 सदस्यीय चिकित्सकीय दल तैनात किया जाएगा ताकि ट्रैक पर लगे हर पशु की निगरानी सुनिश्चित की जा सके। मंत्री बहुगुणा ने यह भी कहा कि यदि ट्रायल अवधि के दौरान व्यवस्थाएं संतोषजनक पाई जाती हैं, तो अगले चरण में सीतापुर, रामपुर और त्रियुगीनारायण से भी घोड़ा-खच्चरों को यात्रा में शामिल किया जाएगा। शेष पशुओं को डॉक्टरों की निगरानी में ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी।
मंत्री बहुगुणा ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश। गौरीकुंड से केदारनाथ तक चार पशु चिकित्सालय खोले जाएंगे। प्रत्येक चिकित्सालय में 15 सदस्यीय दल तैनात होगा, जिसमें डॉक्टर, पुलिस कर्मी और अन्य कर्मचारी शामिल रहेंगे। ये दल यात्रा मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों की नियमित जांच करेंगे। बीमार पशुओं के लिए क्वारंटीन सेंटर स्थापित किया गया है, जहाँ नि:शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी। जो पशुपालक अपने बीमार पशुओं को घर ले जाना चाहते हैं, उन्हें इलाज और चारे पर 50% सब्सिडी दी जाएगी। यह सहायता पशुपालन विभाग द्वारा विभागीय स्तर पर प्रदान की जाएगी। इस मौके पर पंतनगर विश्वविद्यालय के वेटरनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डाॅ. जेएल सिंह ने सलाह दी कि घोड़ा-खच्चरों को यात्रा पर भेजने से पहले उन्हें पर्याप्त आराम, समय पर दवा, गर्म पानी और चिकित्सक की सलाह के हिसाब से 15 दिन का क्वारंटीन अनिवार्य किया जाए।
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