
आपात स्थिति में संजीवनी बनी हेली एंबुलेंस, दुर्गम क्षेत्रों से 60 मरीजों की सुरक्षित रेस्क्यू…
उत्तराखंड: उत्तराखंड के दुर्गम और दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की बड़ी कमी को दूर करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई ‘संजीवनी’ हेली एंबुलेंस सेवा अब तक 60 से अधिक मरीजों और घायलों की जान बचा चुकी है। देश की पहली निशुल्क हेली एंबुलेंस सेवा के रूप में यह पहल राज्य के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। अक्टूबर 2024 में एम्स ऋषिकेश से शुरू हुई इस सेवा को 24 घंटे अलर्ट मोड में रखा गया है, ताकि आपदा, सड़क दुर्घटना, भूस्खलन, बाढ़ या किसी भी प्रकार की आकस्मिक चिकित्सा स्थिति में तुरंत राहत पहुंचाई जा सके। प्रदेश सरकार ने विशेष रूप से यह व्यवस्था ऐसे क्षेत्रों के लिए की है, जहां सड़क मार्ग बाधित होने या चिकित्सा सुविधा की पहुंच न होने की स्थिति में मरीजों का जीवन संकट में पड़ जाता है। ‘संजीवनी’ सेवा ने अब तक के संचालन में कई जिंदगियों को समय पर राहत पहुंचाकर बचाया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि आने वाले समय में इस सेवा के दायरे को और अधिक विस्तार देने की योजना है, ताकि पहाड़ी जिलों में रहने वाले हर नागरिक को समय पर चिकित्सा सहायता मिल सके। प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस सेवा की सराहना करते हुए कहा कि संजीवनी हेली सेवा ने राज्य की स्वास्थ्य सुरक्षा में नई उम्मीदें पैदा की हैं। हम इसे और मजबूत बनाएंगे।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार हेली एंबुलेंस ने कुल 74 घंटे 12 मिनट की उड़ान भरी है और अलग-अलग समय में 60 से अधिक मरीजों व घायलों को एयरलिफ्ट किया गया। इसमें सड़क दुर्घटना के 23, गंभीर प्रसव के 18 और अन्य आकस्मिक चिकित्सा के 19 मरीजों को हेली एंबुलेंस से बड़े अस्पतालों में पहुंचाया गया। प्रदेश सरकार ने इस सेवा को एम्स ऋषिकेश के सहयोग से देश की पहली पूर्णतः निशुल्क हेली एंबुलेंस सेवा के रूप में शुरू किया था। यह सेवा विशेष रूप से भूस्खलन, बाढ़, सड़क दुर्घटना, और अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में रैपिड रिस्पांस के लिए डिज़ाइन की गई है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हेली सेवा को स्थानीय प्रशासन, पुलिस, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से और अधिक प्रभावशाली बनाया जा रहा है, ताकि जरूरतमंदों तक यह सहायता और तेज़ी से पहुंचे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी इस सेवा की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसकी गतिशीलता, सूचना तंत्र और हेलिपैड सुविधाओं में और सुधार किया जाए।
मुनस्यारी के लिए भी किए थे प्रयास
उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी ब्लॉक स्थित धापा गांव में एक महिला और उनकी नातिन की जंगली विषैले मशरूम खाने से तबीयत गंभीर हो गई। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने स्थिति को देखते हुए उन्हें हल्द्वानी के हायर सेंटर में रेफर किया, लेकिन दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण स्थानीय प्रशासन ने हेली एंबुलेंस सेवा की मांग की। जिलाधिकारी पिथौरागढ़ ने तुरंत ही उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) को हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराने का अनुरोध भेजा। प्राधिकरण ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए उड़ान की स्वीकृति प्रदान कर दी, लेकिन उस समय क्षेत्र में अत्यधिक खराब मौसम और घने बादल होने के कारण DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) के सुरक्षा मानकों के तहत उड़ान संभव नहीं हो पाई। इस घटना ने एक बार फिर राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में आपातकालीन उड़ानों के मौसमीय जोखिम को उजागर किया है। हालांकि ‘संजीवनी’ जैसी हेली सेवाएं जीवन रक्षक सिद्ध हो रही हैं, परंतु मौसम की चुनौती इनकी प्रभावशीलता को सीमित कर देती है। स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन ने सड़क मार्ग से वैकल्पिक व्यवस्था करके मरीजों को समय पर हायर सेंटर पहुंचाने का प्रयास किया।
उत्तराखंड की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा एम्स ऋषिकेश के सहयोग से शुरू की गई हेलिकॉप्टर एंबुलेंस सेवा आज प्रदेश की आपात चिकित्सा सेवा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। इस अत्याधुनिक सेवा के संचालन से उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल हो गया है, जो पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को निशुल्क हवाई चिकित्सा सहायता उपलब्ध करा रहा है। ‘संजीवनी’ नाम की यह हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सेवा अब तक दर्जनों जिंदगियों को समय पर इलाज उपलब्ध कराकर बचा चुकी है। सड़क दुर्घटनाओं, जटिल प्रसव, भूस्खलन, बाढ़ या अन्य आपातकालीन स्थितियों में यह सेवा राज्य के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। हालांकि राज्य की भौगोलिक स्थिति और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अचानक बदलते मौसम के कारण कई बार उड़ानों में बाधा उत्पन्न होती है। इस स्थिति को लेकर शासन स्तर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जहां हेली सेवा संभव न हो, वहां प्रशासन वैकल्पिक साधनों से तत्काल राहत एवं उपचार सुनिश्चित करें। प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव का कहना है कि राज्य सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्था को हर हाल में सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। हेली एंबुलेंस के संचालन के साथ-साथ, सड़क मार्ग से भी समन्वित रेस्क्यू प्लान तैयार किए जा रहे हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी इस दिशा में प्रशासन को निर्देशित किया है कि संजीवनी सेवा की पहुंच को और व्यापक बनाया जाए तथा वैकल्पिक व्यवस्थाएं समय रहते सक्रिय की जाएं, ताकि किसी भी स्थिति में आमजन को राहत में देरी न हो।
More Stories
तीन दिन तक बंद रहेगी केदारनाथ यात्रा, सोनप्रयाग मार्ग पर भूस्खलन से रास्ता ठप..
मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना से जुड़ेगीं पात्र महिलाएं, मिलेगा आर्थिक सहारा..
पूर्व सैनिकों को हर नौकरी में मिलेगा आरक्षण, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का शासनादेश रद्द किया..