
भारत सरकार की स्वास्थ्य नीति से 10 बीमारियां बाहर..
शोधकर्ताओं की सलाह- लक्ष्य हासिल करने के लिए विचार..
देश-विदेश: भारत सरकार ने करीब 10 गंभीर बीमारियों को अपनी स्वास्थ्य नीति से बाहर रखा है। जिसकी वजह से सालाना लाखों किशोंरों की मौत हो रही हैं। इनमें दस्त, निचले श्वसन संक्रमण, मलेरिया, एन्सेफलाइटिस, तपेदिक, टाइफाइड, सिरोसिस और हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार अमेरिका के वांशिगटन विश्वविघालय और पब्लिक हेल्थ फांउडेशन ऑफ इंडिया के शोधकर्ताओं ने संयुक्त रूप से भारत के किशोर स्वास्थ्य नीति के विश्लेषण के बाद इसका खुलासा किया है।
आपको बता दे कि भारत में 10 से 14 साल की बच्चियों के लिए सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम में टाइफाइड, डायरिया, श्वसन संक्रमण, मलेरिया, एन्सेफ्लाइटिस, जन्मजात विकृति और हेपेटाइटिस रोग शामिल नहीं है। यह हालात तब हैं जब इस आयु वर्ग में मरने वालों की संख्या चार लाख से भी अधिक हैं। किशोर स्वास्थ्य रणनीति के तहत देश के 700 से भी ज्यादा जिलों में संचालित इस रणनीति के तहत सड़क दुर्घटना, पानी में डूबना, खुद को चोट पहुंचाना, ऊंचाई से गिर जाना जैसे मुद्दों पर जोर दिया है जिनके वार्षिक मामले चयनित 10 जोखिम की तुलना में कम हैं।
अध्ययन की जानकारी के अनुसार 10 से 14 और 15 से 19 साल के किशोरों में दिव्यांगता और मौत के शीर्ष 10 कारणों की पहचान की है। विशलेषण में पाया कि दस्त, निचले श्वसन संक्रमण, मलेरिया, एन्सेफलाइटिस, तपेदिक, टाइफाइड. सिरोसिस और हेपेटाइटिस की वजह से बड़ी संख्या में किशोर न सिर्फ प्रभावित हो रहे हैं बल्कि उनकी जान का जोखिम भी है लेकिन सरकारी नीति में इनका कोई जिक्र नहीं है। यहां तक की सरकारी आंकड़ों में लिंग या आयु के आधार पर भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं हैं।
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