
जीएसटी विवाद- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अपील निपटने तक नहीं होगी वसूली..
उत्तराखंड: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के जीएसटी करदाताओं को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यापारी या संस्था जीएसटी विवाद में निर्धारित समय सीमा के भीतर वैधानिक अपील दाखिल करती है और कानूनन तय 10 प्रतिशत कर राशि जमा कर देती है, तो अपील के निपटारे तक विभाग शेष कर राशि की वसूली नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने इस मामले में विभाग की ओर से जारी वसूली आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि ऐसा आदेश करदाताओं के वैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। अदालत ने माना कि अपील की लंबित अवधि में पूरी राशि की वसूली करना नियमों के विपरीत है और इससे करदाताओं पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से न केवल व्यापारियों और संस्थाओं को राहत मिलेगी बल्कि राज्य में निवेश का माहौल भी बेहतर होगा। साथ ही कर विवादों से जुड़े मामलों में करदाताओं का भरोसा न्यायपालिका पर और मजबूत होगा। बता दे कि जीएसटी कानून के तहत अपील दायर करते समय विवादित कर की 10 प्रतिशत राशि जमा करना अनिवार्य है। इसके बाद अपील के निपटारे तक शेष राशि की वसूली रोकी जानी चाहिए। लेकिन कई मामलों में विभाग वसूली आदेश जारी कर रहा था, जिससे व्यापारियों में असंतोष था। अब हाईकोर्ट के इस आदेश से उन्हें बड़ी राहत मिली है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने यह आदेश एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। मामला मैसर्स राधा कृष्ण फर्म से जुड़ा है। वर्ष 2017-18 में फर्म के जीएसटी रिटर्न में आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के अंतर को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। विभागीय जांच के बाद फर्म पर 11.44 लाख रुपये कर और 1.14 लाख रुपये पेनल्टी सहित कुल 12.58 लाख रुपये की वसूली की मांग की गई। फर्म ने इसके खिलाफ 6 अगस्त 2025 को वैधानिक अपील दाखिल की और नियमों के अनुसार 1.14 लाख रुपये (10 प्रतिशत राशि) भी जमा कर दी। फर्म का कहना था कि विभागीय नोटिस की जानकारी उन्हें समय पर नहीं मिल पाई, जिसके चलते वे अपना पक्ष पेश नहीं कर सके। इसके बावजूद तहसीलदार ने 5 अगस्त 2025 को वसूली प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इस आदेश को चुनौती देते हुए फर्म ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने वसूली आदेश को निरस्त कर दिया और करदाताओं के वैधानिक अधिकारों को सुरक्षित किया। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से प्रदेश के हजारों व्यापारियों को राहत मिलेगी और कर विवादों से जुड़े मामलों में स्पष्टता आएगी।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जीएसटी करदाताओं के पक्ष में अहम फैसला सुनाते हुए विभागीय वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 107(6) में स्पष्ट प्रावधान है कि जब कोई करदाता निर्धारित समय सीमा में वैधानिक अपील दाखिल करता है और नियमों के अनुसार 10 प्रतिशत कर राशि जमा कर देता है, तो अपील लंबित रहने के दौरान शेष कर मांग की वसूली स्वतः स्थगित मानी जाएगी। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि अपील लंबित रहने की स्थिति में विभाग द्वारा वसूली की कार्रवाई कानून सम्मत नहीं कही जा सकती। कोर्ट ने कहा कि अपील के अंतिम निर्णय के बाद ही पक्षकारों के अधिकार और दायित्व तय होंगे। सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने तहसीलदार की ओर से जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही विभाग को भविष्य में ऐसे मामलों में सावधानी बरतने की हिदायत भी दी।कानूनी जानकारों का कहना है कि हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल विवादित मामलों में करदाताओं को राहत देगा, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली में भी पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करेगा। इस फैसले से व्यापारिक माहौल को भी सकारात्मक बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
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