गढ़वाल विवि के 72 प्राइवेट कॉलेजों को अगले साल से असंबद्ध करने का निर्णय..
उत्तराखंड: राज्य में डिग्री देने वाले 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करने के साथ ही विश्वविद्यालय से जुड़े 72 निजी कॉलेजों की संबद्धता फिलहाल खतरे में है। विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने अगले शैक्षणिक वर्ष से इन कॉलेजों की संबद्धता खत्म करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पिछले साल 20 जून को शिक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार और यूजीसी की संयुक्त बैठक के ढांचे के भीतर किया गया था। कॉलेजों का कहना है कि वे 2009 में विश्वविद्यालय द्वारा पारित अधिनियम के तहत संरक्षित हैं और उन्हें असंबद्ध नहीं किया जा सकता है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय को 2009 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। उस समय पारित अधिनियम की धारा 4-एफ में यह प्रावधान किया गया था कि विश्वविद्यालय से जुड़े महाविद्यालयों की स्थिति यथावत रहेगी। इस एक्ट की वजह से गढ़वाल विवि लंबे समय से इन कॉलेजों से पीछा नहीं छुड़ा पाया। हालांकि प्रदेश के सभी राजकीय डिग्री कॉलेजों को सरकार ने इस विवि से करीब दो साल पहले असंबद्ध कराते हुए श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध करा लिया था। इसके बाद से बाकी कॉलेजों को हटाने की भी कोशिशें चल रहीं थीं।
छात्रहित में अस्थायी संबद्धता दी जाए..
इस साल कार्यकारी परिषद ने 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों को असंबद्ध करने का निर्णय लेते हुए इसकी जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय व राज्य सरकार को भेज दी है। 72 प्राइवेट कॉलेजों को विवि हर साल अस्थायी संबद्धता देता है। इस साल परिषद ने तय किया है कि आखिरी बार केवल छात्रहित में अस्थायी संबद्धता दी जाए। अगले साल से इन कॉलेजों को विवि चरणबद्ध तरीके से असंबद्ध कर देगा। उधर, एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल का कहना है कि गढ़वाल विवि के एक्ट के सेक्शन 4 एफ के अनुसार कॉलेजों को जबरन असंबद्ध नहीं किया जा सकता। इसके लिए या तो कॉलेज खुद एनओसी मांगें या फिर सरकार एक्ट में संशोधन करे। उन्होंने कार्यकारी परिषद के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
अशासकीय डिग्री कॉलेजों पर जल्द फैसला ले सरकार..
ऑल इंडिया अनएडेड विवि एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री और राज्य के शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की विवि से संबद्धता पर तुरंत निर्णय लिया जाए। प्रवेश होने के समय विवि से असंबद्धता छात्रों के भविष्य के लिए हितकर नहीं है। प्रदेश के अधिकतर छात्र इन अशासकीय कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं और बेहद कम शुल्क में पढ़ाई करते हैं।
गरीब छात्रों का भविष्य अंधकार में हो गया है क्योंकि अधिकांश छात्र निजी संस्थानों में फीस ज्यादा होने के कारण प्रवेश नहीं ले पाते हैं। उनके लिए शासकीय कॉलेज और अशासकीय कॉलेज ही विकल्प होता है। गढ़वाल मंडल में डीएवी कॉलेज सबसे बड़ा कॉलेज है। इसके साथ ही डीबीएस कॉलेज, एसजीआरआर कॉलेज छात्राओं के लिए एमकेपी कॉलेज व कई अन्य कॉलेज हैं। यहां प्रवेश में अनिर्णय की स्थिति प्रदेश में शिक्षा की स्थिति के लिए घातक है। इसलिए संबद्धता के विषय में तुरंत निर्णय लेकर विवि से संबद्धता सुनिश्चित की जाए। नहीं तो छात्र निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए विवश होंगे।
एनएसयूआई की मांग, कॉलेजों की संबद्धता बरकरार रखें..
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के प्रदेश अध्यक्ष विकास नेगी का कहना हैं कि बिना किसी पूर्व सूचना अचानक 10 कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करने से हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। इन कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया जुलाई से शुरू होनी है लेकिन संबद्धता न होने की सूरत में प्रवेश कैसे होंगे। उन्होंने कहा कि देहरादून में राजकीय महाविद्यालय रायपुर में 500 और सुद्धोवाला में भी करीब इतने ही छात्रों का दाखिला हो सकता है।
ऐसी स्थिति में देहरादून के साथ ही आसपास के इलाकों के इतने छात्र-छात्राएं प्रवेश के लिए कहां जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार की मिलीभगत से शिक्षा का बाजारीकरण किया जा रहा है। सरकारी सस्ती शिक्षा से हटाकर उन्हें निजी विवि व प्राइवेट कॉलेजों में दाखिले को बाध्य किया जा रहा है। उन्होंने गढ़वाल विवि कुलपति से मांग की है कि प्रदेश के 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की संबद्धता यथावत रखी जाए। जिससे किसी भी छात्र-छात्राओं का भविष्य बर्बाद न हो। विवि की जो भी आपत्तियां हैं, उन्हें इन महाविद्यालयों से पूरा कराया जाए।
कॉलेज-सरकार मिलकर जल्द दिलाएं संबद्धता..
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की बैठक में कॉलेजों की असंबद्धता का मामला उठा। एबीवीपी पदाधिकारियों का कहना हैं कि जिन छात्रों ने सीयूईटी परीक्षा दी है, वह अब केंद्रीय विवि के कॉलेजों में दाखिले से वंचित रह जाएंगे। ऐसे छात्रों के एडमिशन के लिए ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे वह छात्र खुद को ठगा महसूस न करें। यह भी कहा गया कि असमय संबद्धता समाप्त होने से छात्र असमंजस में हैं। क्योंकि प्रथम सेमेस्टर की प्रवेश प्रक्रिया में देरी हुई तो वार्षिक कैलेंडर में असमानता आएगी। इसलिए कॉलेजों के प्रबंधक व सरकार आपसी सहमति से त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी कॉलेजों को किसी विवि से संबद्धता दिलाएं। इस मौके पर डीएवी छात्रसंघ अध्यक्ष दयाल बिष्ट, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य किरन, महानगर सहमंत्री दीपक आदि मौजूद रहे।
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