September 20, 2024

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महेंद्र भट्ट ने राज्यसभा में उठाया उत्तराखंड वनाग्नि का मुद्दा, वनाग्नि को आपदा सूची में शामिल करने की मांग..

महेंद्र भट्ट ने राज्यसभा में उठाया उत्तराखंड वनाग्नि का मुद्दा, वनाग्नि को आपदा सूची में शामिल करने की मांग..

 

उत्तराखंड: राज्यसभा सांसद और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने हिमालयी राज्यों की अग्नि घटनाओं में मुआवजे को परिभाषित करने का मुद्दा सदन में जोर शोर से उठाया। इस दौरान सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए उन्होंने इन घटनाओं को प्राकृतिक आपदा की सूची में शामिल करने का आग्रह भी किया। साथ ही राज्य आपदा मानक निधि के मानकों में अग्नि की घटनाओं को सही तरीके से परिभाषित करने की मांग की। राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने उच्च सदन में कहा कि विगत कुछ वर्षों में उत्तराखंड में अग्नि की घटनाओं में बहुत वृद्धि हुई है। अक्सर इसके कारण में मानव जनित घटना बताया जाता है जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो राज्य वृक्षारोपण में शीर्ष राज्य हो वहां ऐसा होना अधिकांशतः संभव नहीं है।

जलवायु परिवर्तन के अतिरिक्त पर्वतीय क्षेत्रों में अनेकों कारण है उसके चलते आग की घटनाएं वहां लगातार बढ़ रही है। एक बड़ा कारण चीड़ के पेड़ से गिरने वाला पिरूल भी है। जिस पर सरकार 50 रुपए किलो पिरूल खरीद कर कारण को कमतर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने इस पर केंद्र से भी सहयोग की अपेक्षा है।

उत्तराखंड में वनाग्नि को दैवीय आपदा में नहीं किया गया शामिल..

महेंद्र भट्ट ने राज्य में हुई अग्नि घटना के आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि सर्वाधिक वन क्षेत्र होने के बावजूद उत्तराखंड में वनग्नि को दैवीय आपदा में शामिल नहीं किया गया है। अपने प्रस्ताव में उन्होंने सरकार का ध्यान हिमालय राज्यों में बड़े पैमाने पर होने वाली अग्नि की घटनाओं की तरफ आकृष्ट करते इन क्षेत्रों के लिए इसे प्राकृतिक आपदा में शामिल करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही कहा कि राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में अग्नि से घटने वाली घटनाओं को परिभाषित नहीं किया गया है। जिसके कारण प्रभावितों को राहत सहायता अनुमन्य किए जाने में बेहद कठिनाइयां होती है। विशेषकर ग्रीष्म काल में हिमालयी राज्यों में वन अग्नि की घटनाएं बहुत बढ़ जाती है। हजारों परिवार अग्नि की इन घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं। इन अग्नि की घटनाओं में जन धन हानि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पालतू पशुओं की मृत्यु हो जाती है और अनेकों फलदार वृक्ष भी नष्ट हो जाते है। लेकिन तकनीकी दिक्कत के कारण इन पीड़ित परिवारों को नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है।

वनाग्नि की घटनाओं को माना जाए प्राकृतिक आपदा..

महेंद्र भट्ट ने अपने संबोधन में उन्होंने अग्नि प्रभावितों की समस्या की वजह अग्नि की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा में सम्मिलित नहीं किया जाना बताया। क्योंकि भारत सरकार द्वारा अग्नि को राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में तो अनुसूचित किया है, किंतु मानकों में अग्नि से घटने वाली घटनाओं को परिभाषित नहीं किया गया है। यही वजह है कि राहत सहायता अनुमन्य किए जाने में अनेकों कठिनाई आ रही है। भट्ट ने हिमालय राज्यों के वन क्षेत्र से लगे गांवो में निवासरत लोगों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अग्नि से घटित घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानने का अनुरोध किया। साथ ही राहत सहायता अनुमन्य किए जाने हेतु मानक भी निर्धारित किए जाने की मांग की है।