
पदक के पीछे ‘डोपिंग की दौड़’, नेशनल गेम्स में उठे भरोसे के सवाल..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में हाल ही में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में डोपिंग का एक बड़ा मामला सामने आया है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) ने 11 खिलाड़ियों को प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के आरोप में अस्थायी निलंबन जारी किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 8 खिलाड़ी वे हैं जिन्होंने पदक जीते थे। बता दे कि पंजाब के बास्केटबॉल खिलाड़ी अमृतपाल सिंह, जो ऑस्ट्रेलिया और जापान की लीगों में खेल चुके हैं, भी इस सूची में शामिल हैं। यह उनकी दूसरी डोपिंग उल्लंघन है। वही ताइक्वांडो में 3 लाख रुपये में गोल्ड मेडल बेचने का मामला भी सामने आया है, जिससे खेलों की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। यह घटनाएँ भारतीय खेलों की छवि को प्रभावित कर सकती हैं, और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
38वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान उत्तराखंड में हुए एक बड़े खुलासे में 11 खिलाड़ियों के डोप टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं। इन खिलाड़ियों में से 8 पदक विजेता हैं। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) द्वारा किए गए टेस्ट में ये खिलाड़ी प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करते पाए गए। इनमें से 6 खिलाड़ी पंजाब के हैं और 2 उत्तराखंड के हैं। उत्तराखंड से एक खिलाड़ी वूशु में मेडल विजेता था। यह मामला खेलों की निष्पक्षता और खिलाड़ी की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है।निलंबन की कार्रवाई के बाद इन खिलाड़ियों की जांच और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। NADA इस मामले की पूरी जांच कर रहा है, और भारतीय खेलों में डोपिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
खिलाड़ियों को दिया जाएगा अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका..
डोपिंग में पकड़े गए खिलाड़ियों को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका दिया जाएगा। यदि यह खिलाड़ी दोषी पाए जाते हैं, तो उन पर एक से चार साल तक का प्रतिबंध लग सकता है। यह मामला उत्तराखंड की मेडल तालिका को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि पॉजिटिव टेस्ट के कारण कुछ पदक वापस लिए जा सकते हैं। इस मामले में खेल मंत्री रेखा आर्य की ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है, जो इस घटनाक्रम को लेकर कुछ स्पष्टता ला सकता था। डोपिंग की ये घटनाएँ भारतीय खेलों के लिए चिंताजनक हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।पदक वापसी से जुड़े फैसले के बाद इन खेलों की निष्पक्षता पर और भी सवाल उठ सकते हैं।
घातक ड्रग है डोप..
खेल विभाग के डायरेक्टर प्रशांत आर्य का कहना हैं कि इस मामले में अभी 1 महीने के बाद ही कुछ ठोस नतीजे सामने आएंगे। उन्होंने डोपिंग को एक घातक ड्रग बताया, जो खिलाड़ियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। आर्य ने यह भी कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों में डोप ड्रग का इस्तेमाल एक गंभीर विषय है।उन्होंने डोपिंग को न केवल अवैध, बल्कि अनैतिक भी करार दिया, जो खेल की भावना को नुकसान पहुंचाता है। इस तरह के मामलों से न केवल खिलाड़ियों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि यह खेलों की निष्पक्षता और प्रतिष्ठा पर भी गहरा असर डालता है। आने वाले समय में इस मामले के नतीजे और कड़ी कार्रवाई से डोपिंग के खिलाफ सख्त संदेश भेजा जा सकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं कम हो सकें।
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