September 6, 2025

उत्तराखंड सरकार का बड़ा कदम, सुदूर इलाकों में 220 डॉक्टरों की तैनाती..

उत्तराखंड सरकार का बड़ा कदम, सुदूर इलाकों में 220 डॉक्टरों की तैनाती..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में आए दिन स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठते रहे हैं, खासकर पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी के कारण कई बार मरीजों की जान तक चली जाती है। हाल ही में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में जच्चा-बच्चा की मौत का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर सरकार की गंभीरता और बढ़ गई। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश के विभिन्न दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों में 220 नए डॉक्टरों की तैनाती की है। विभाग का कहना है कि इसका उद्देश्य ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को तत्काल और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। बता दे कि गैरसैंण उप जिला अस्पताल में हाल ही में दो डॉक्टरों की तैनाती की गई थी।

इसके बाद अब पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। सरकार का मानना है कि इन तैनातियों से न केवल स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होंगी, बल्कि गंभीर मरीजों को समय पर उपचार मिलने से उनकी जान भी बचाई जा सकेगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों की तैनाती के साथ-साथ अस्पतालों की बुनियादी सुविधाओं को भी दुरुस्त करने का काम चल रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि गांव और पहाड़ों में रहने वाले लोगों को बड़े शहरों की तरह स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। सीएम धामी ने पहले भी कहा था कि उनकी प्राथमिकता “हेल्थ फॉर ऑल” के लक्ष्य को पूरा करना है। इसके लिए सरकार लगातार चिकित्सकों की कमी को दूर करने, आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कार्य कर रही है।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 220 नए डॉक्टरों की पहली तैनाती कर दी है। इन डॉक्टरों को विशेष रूप से पर्वतीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों के अस्पतालों में भेजा गया है, ताकि लंबे समय से उपेक्षित स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिल सके और मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध हो। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार चयनित 220 डॉक्टरों में से दिव्यांग डॉक्टरों को छोड़कर सभी को उन अस्पतालों में भेजा गया है, जहां वर्षों से पद खाली चल रहे थे। इनमें मुख्य रूप से चमोली जिले के दूरस्थ अस्पताल देवाल, ग्वालदम, थराली, गैरसैंण, मेहलचौरी, जोशीमठ (ज्योर्तिमठ) और माईथान शामिल हैं।

इन क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को अक्सर देहरादून, ऋषिकेश या हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था। सरकार का कहना है कि इन तैनातियों का उद्देश्य ग्रामीण और पर्वतीय इलाकों के लोगों को स्थानीय स्तर पर ही सुलभ, त्वरित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। इससे न केवल मरीजों को समय पर उपचार मिल सकेगा, बल्कि स्वास्थ्य विभाग पर बढ़ता दबाव भी कम होगा। हाल ही में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में जच्चा-बच्चा की मौत के मामले ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी थी। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग पर कार्यवाही का दबाव बढ़ा और सरकार ने त्वरित कदम उठाते हुए उप जिला अस्पताल गैरसैंण में दो डॉक्टरों की तैनाती की। अब बड़े पैमाने पर 220 डॉक्टरों की नियुक्ति से उम्मीद है कि प्रदेश के अन्य सुदूर इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं सुधरेंगी।

इसके साथ ही उत्तरकाशी जिले में हर्षिल, गंगोत्री, टिकोची, डुंडा, मोरी, बल्डोगी, दिवली, चिन्यालीसौड़, भटवाड़ी, जानकीचट्टी, मानपुर, रैथल, बड़कोट हैं। वहीं टिहरी जिले में लंबगांव, नंदगांव, सत्यों, थत्यूड़, हिंडोलाखाल शामिल हैं। रुद्रप्रयाग जिले में मनसूना, जखोली, ग्वाड़, फाटा, भीरी, गुप्तकाशी के अस्पताल शामिल हैं। इसी तरह पौड़ी जिले के अदालीखाल, बीरोंखाल, बूंगीधार, रिखणीखाल, कलालघाटी, चैलूसैण, पाबौं, तिरपालीसैण, सैंजी, पौखाल, बैजरों, घण्डियाल, थानमासौं समेत अन्य दूरस्थ अस्पतालों में तैनाती दी गई है। पिथौरागढ़ जिले में थल, धारचूला, बड़ालू, जाखपुराण, गणाई, मुनस्यारी, बेरीनाग, डीडीहाट, तेजम, मुवानी शामिल हैं। वहीं, चंपावत जिले के सिपटी, भौन, बाराकोट उप जिला चिकित्सालय और जिला चिकित्सालय चंपावत में तैनाती दी गई है। जबकि, बागेश्वर में कपकोट, बैजनाथ, फरसाली, रवाईंखाल, बदियाकोट, उप जिला चिकित्सालय बागेश्वर में डॉक्टरों की तैनाती दी गई है। इसी तरह अल्मोड़ा जिले के काकड़ीघाट, लमगड़ा, देघाट, हवालबाग, भिकियासैण, दनिया, नैल, चौखुटिया, भैसियाछाना, भतरौंजखान, जैंती, द्वाराहाट, ताड़ीखेत शामिल हैं। नैनीताल जिले के गेठिया, पदमपुरी, बेतालघाट, ज्योलीकोट, गरमपानी, धारी, मालधनचौड़, पहाड़पानी, मुक्तेश्वर समेत प्रदेश के तमाम अस्पतालों में सालों से खाली पदों के सापेक्ष तैनाती दी गई है।