जोशीमठ भूधंसाव- बढ़ रहीं आदिगुरु शंकराचार्य के गद्दीस्थल की दरारें..
उत्तराखंड: जोशीमठ नृसिंह मंदिर परिसर स्थित आदिगुरू शंकराचार्य के गद्दीस्थल व मठ की दरारें बढ़ रही हैं। साथ ही नृसिंह मंदिर परिसर का एक हिस्सा धंस रहा है। हालांकि, बीकेटीसी का कहना हैं कि सभी धार्मिक विरासत पूरी तरह से सुरक्षित हैं। खतरे की कोई बात नहीं है। शीघ्र ही विशेषज्ञों द्वारा पूरे क्षेत्र का सर्वे कराया जाएगा, जिसके लिए सरकार से पत्राचार किया जा रहा है।
शीतकाल में आदिगुरू शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर परिसर स्थित आदिगुरू शंकराचार्य गद्दीथल में रहती है। समिति यहां यज्ञ-हवन और नित्य पूजन करती है। लेकिन यह धार्मिक स्थान पर भी भूधंसाव का असर पड़ रहा है, जिससे यहां गद्दीस्थल की बाहरी व अंदर की दीवारों पर दरारें पड़ रही हैं।
कई दरारें तेजी से बढ़ रही हैं। नृसिंह मंदिर परिसर के एक हिस्से में एक साथ भूधंसाव हो रहा है। इन पवित्र स्थलों की सुरक्षा को लेकरकई सवाल उठ रहे हैं। जोशीमठ के स्थलीय निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आदिगुरू शंकराचार्य गद्दीस्थल और नृसिंह मंदिर परिसर का भी जायजा लिया था।
उनका कहना हैं कि इन धार्मिक धरोहरों के संरक्षण के लिए उचित इंतजाम किए जाएंगे। लेकिन अभी तक यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम होते नजर नहीं आ रहे हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि दरारें नई नहीं हैं। साथ ही समिति पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। किसी भी स्तर पर खतरे की कोई बात नहीं है।
वहीं, नृसिंह मंदिर में मौजूद भगवान बद्रीनाथ के खजाना को अन्यत्र शिफ्ट नहीं किया जाएगा। मंदिर व अन्य परिसंपत्तिया अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित है। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का कहना है कि वह हालातों पर पूरी नजर रखे हुए हैं। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि दरारों से प्रभावित जोशीमठ में स्थिति काफी नाजुक है लेकिन नृसिंह मंदिर सुरक्षित है।
इसलिए भगवान बद्रीनाथ का खजाना अन्यत्र शिफ्ट करने की अभी कोई योजना नहीं है।उनका कहना हैं कि स्थानीय हालातों की प्रत्येक दिन की जानकारी प्राप्त की जा रही है। अगर जोशीमठ की स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर हुई तभी खजाना को अन्यत्र शिफ्ट किया जाएगा। खजाना को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने को लेकर समिति को पांडुकेश्वर से भी प्रस्ताव मिला है।
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