September 13, 2025

तीन अक्टूबर से 31 दिसंबर तक सभी जिलों में लगेंगे सहकारी मेले, हर जिले की होगी अलग थीम..

तीन अक्टूबर से 31 दिसंबर तक सभी जिलों में लगेंगे सहकारी मेले, हर जिले की होगी अलग थीम..

 

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड सरकार ग्रामीण आर्थिकी को सशक्त बनाने और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने घोषणा की कि तीन अक्टूबर से 31 दिसम्बर तक प्रदेश के सभी जिलों में विशेष थीम आधारित वृहद सहकारिता मेले आयोजित किए जाएंगे। इन मेलों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देना, किसानों, काश्तकारों, कारीगरों, महिला स्वयं सहायता समूहों, युवाओं और सहकारी संस्थाओं को उनके उत्पादों के प्रदर्शन और विक्रय के लिए सीधा बाजार उपलब्ध कराना है। मंत्री रावत ने कहा कि मेलों में न केवल स्थानीय उत्पादों की बिक्री होगी, बल्कि विभागीय और अंतर्विभागीय योजनाओं का भी प्रदर्शन और प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इससे लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ आजीविका के नए अवसर भी मिलेंगे। इन मेलों के जरिए सरकार का लक्ष्य है कि गाँवों और छोटे कस्बों की आर्थिकी को नई ऊर्जा मिले और स्थानीय उत्पादों को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा सके।

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि इन मेलों में स्थानीय सांसद, क्षेत्रीय विधायक, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निकायों के अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख और सहकारिता आंदोलन से जुड़े व्यक्तियों सहित अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि मेलों की लगातार मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग होगी। इसके लिए प्रत्येक जिले में एक जिलास्तरीय समिति बनाई जाएगी, जो प्रतिदिन राज्य स्तरीय समिति को अपनी रिपोर्ट भेजेगी। इसके साथ ही प्रत्येक मेले के आयोजन के बाद 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया है। इस व्यवस्था का उद्देश्य मेलों की पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है, ताकि सहकारिता आंदोलन का लाभ सीधे जनता तक पहुंचे। इन मेलों से किसानों, कारीगरों, महिला स्वयं सहायता समूहों और युवाओं को न सिर्फ स्थानीय बाजार मिलेगा, बल्कि सरकारी योजनाओं से जुड़ने का अवसर भी उपलब्ध होगा।

डॉ. रावत ने कहा कि प्रत्येक जिले में आयोजित होने वाले इन मेलों की अलग-अलग थीम होगी। जिसमें अल्मोड़ा जनपद में सहकारिता से हस्त शिल्प संरक्षण थीम पर मेले का आयोजन होगा। इसमें जैविक उत्पाद, स्थानीय कला, ऊनी उत्पाद का प्रदर्शन किया जायेगा साथ ही प्राकृतिक खेती पर संगोष्ठी भी होगी। इसी प्रकार पौड़ी के लिए सहकारिता से ग्रामीण सशक्तिकरण थीम निर्धारित की गई है। बागेश्वर में सहकारिता से पर्वतीय कृषि, रुद्रप्रयाग में धार्मिक पर्यटन विकास, पिथौरागढ़ में सीमावर्ती समृद्धि, चमोली में पर्यावरण संरक्षण, ईको टूरिज्म, वन सहकारिता को बढ़ावा, चंपावत में सीमांत विकास की थीम होगी। उत्तरकाशी में हिमालय जैव संसाधन एवं साहसिक पर्यटन, ऊधमसिंहनगर में औद्योगिक कृषि, हरिद्वार में आध्यात्मिक समृद्धि, नैनीताल में पर्यटन विकास, टिहरी में पर्यावरण संरक्षण एवं ईको टूरिज्म तथा देहरादून में सहकारिता से शहरी ग्रामीण एकता थीम पर मेले का आयोजन किया जाएगा। इन मेलों में किसानों, काश्तकारों, महिला स्वयं सहायता समूहों, युवाओं और सहकारी संस्थाओं को सीधे बाजार से जुड़ने का मौका मिलेगा। साथ ही विभागीय और अंतर्विभागीय योजनाओं का भी प्रदर्शन किया जाएगा ताकि आमजन को योजनाओं की जानकारी और लाभ दोनों मिल सकें। सरकार का मानना है कि इन मेलों से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्प, स्थानीय कला, पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर को भी नई पहचान मिलेगी।

वाद-विवाद, क्विज प्रतियोगिता होगी..

प्रदेश में 3 अक्टूबर से 31 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले सहकारिता मेले सिर्फ आर्थिक गतिविधियों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि यह शैक्षणिक और सामाजिक मंच का भी रूप लेंगे। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि इन मेलों के माध्यम से स्थानीय विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को सहकारिता आंदोलन से रू-ब-रू कराया जाएगा। मेलों में छात्रों को जोड़ने के लिए कला, वाद-विवाद और क्विज प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को सहकारिता की मूल भावना और इसके महत्व से अवगत कराना है। सरकार का मानना है कि इन गतिविधियों से मेले सिर्फ व्यापार और प्रदर्शन का मंच न होकर सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक विकास का केंद्र बनेंगे। इससे सहकारिता आंदोलन को नई पीढ़ी तक ले जाने में मदद मिलेगी।