
केदारनाथ नाम से मंदिर निर्माण विवाद, तीर्थ पुरोहितों ने किया विरोध, आंदोलन का अल्टीमेटम..
उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश के इटावा में “केदारनाथ धाम” के नाम से मंदिर निर्माण को लेकर विरोध की खबरें आ रही हैं। इस मंदिर निर्माण पर केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि मंदिर के निर्माण से धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती हैं और इससे केदारनाथ धाम के वास्तविक स्थान की श्रद्धा पर असर पड़ सकता है। तीर्थ पुरोहितों ने चेतावनी दी है कि यदि निर्माण कार्य नहीं रोका गया, तो वे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के घर के बाहर धरना देंगे। विरोध करने वालों का आरोप है कि बिना धार्मिक और ऐतिहासिक पहलुओं को समझे इस तरह का निर्माण किया जा रहा है, जो श्रद्धालुओं और मंदिर के असली स्थान के लिए एक तरह से अपमान हो सकता है। यह मामला अब राजनीति में भी तूल पकड़ने लगा है, और इससे जुड़े दलों के बीच बयानबाजी भी तेज हो सकती है। मंदिर निर्माण से संबंधित इस विवाद में राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोणों का महत्व है, जिससे राज्य में धार्मिक और सामाजिक तनाव बढ़ने की संभावना है।
बता दे कि दिल्ली के बाद अब उत्तर प्रदेश के इटावा में भी “केदारनाथ” के नाम से मंदिर निर्माण को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। इस बार मंदिर का नाम “केदारेश्वर मंदिर” रखा गया है, लेकिन तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि इसे खासतौर पर सपा नेता और पूर्व सीएम अखिलेश यादव के संरक्षण में निर्माण कराया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण धार्मिक भावनाओं के साथ समझौता कर किया जा रहा है और इसके पीछे राजनीतिक एजेंडा हो सकता है। दिल्ली में भी कुछ समय पहले “केदारनाथ धाम” के नाम से एक मंदिर का शिलान्यास हुआ था, लेकिन तीर्थ पुरोहितों ने विरोध जताया था, जिसके बाद उस ट्रस्ट ने फैसला वापस ले लिया था। अब इटावा में भी वही कहानी दोहराई जा रही है। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि धार्मिक स्थलों के नाम और पहचान के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए, और अगर इस निर्माण को रोका नहीं गया, तो इसके खिलाफ आंदोलन तेज हो सकता है। इस विवाद के पीछे एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या राजनीतिक संरक्षण के कारण यह निर्माण धार्मिक महत्व से ज्यादा एक राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बनता जा रहा है। तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि इस तरह के निर्माण धार्मिक स्थल के वास्तविक उद्देश्य को धूमिल कर सकते हैं।
इटावा में “केदारनाथ धाम” के नाम से मंदिर निर्माण को लेकर विरोध अब और भी तूल पकड़ता जा रहा है। आचार्य संतोष त्रिवेदी ने चेतावनी दी है कि अगर इस मंदिर के निर्माण पर रोक नहीं लगाई गई, तो तीर्थ पुरोहित समाज को अखिलेश यादव के घर पर धरना देना पड़ेगा। उनका कहना है कि केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक मंदिर बनाना देश और दुनिया के श्रद्धालुओं की आस्था को आहत करने जैसा है। उनका यह भी आरोप है कि इस निर्माण से धार्मिक स्थान के महत्व को कम किया जा सकता है, और इसे लेकर पूरे समुदाय की भावनाएँ आहत हो सकती हैं। वहीं बीकेटीसी (बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की जांच की जाएगी, और इसके बाद विधिक राय लेकर बीकेटीसी इस पर उचित कार्रवाई करेगा। यह स्पष्ट है कि यह मामला अब केवल धार्मिक नहीं, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण बनता जा रहा है।यह विवाद न केवल एक स्थानीय मुद्दा बन चुका है, बल्कि इससे राजनीतिक और धार्मिक तंत्र के बीच की खाई को भी उजागर कर रहा है। अगर इस पर जल्दी ही कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया, तो यह निश्चित ही बड़े पैमाने पर चर्चा का विषय बन सकता है।
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