
सीएम धामी जल्द पेश करेंगे उत्तराखंड की पहली महिला नीति..
आरक्षण से लेकर स्वरोजगार तक सीएम धामी की चार साल की पहलें..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी अपने कार्यकाल के पांचवें वर्ष में उत्तराखंड की महिलाओं को एक ऐतिहासिक तोहफा देने की तैयारी में हैं। राज्य सरकार जल्द ही उत्तराखंड की पहली “महिला नीति” को कैबिनेट में प्रस्तुत करने जा रही है। इस नीति का उद्देश्य महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और नेतृत्व क्षमताओं को व्यापक रूप से सशक्त करना है। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में महिलाएं घरेलू कार्यों से लेकर खेती-बाड़ी और पशुपालन तक हर क्षेत्र में अहम भूमिका निभाती हैं। लेकिन कई क्षेत्रों में उन्हें नीतिगत संरक्षण और समर्पित योजनाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।
इसी जरूरत को समझते हुए सरकार एक व्यापक रोडमैप तैयार कर रही है, जो महिला विकास के हर पहलू को जोड़ेगा। हालांकि अंतिम मसौदा अभी कैबिनेट में रखा जाना हैं। सीएम धामी पहले ही कई मंचों पर यह संकेत दे चुके हैं कि उनकी सरकार महिलाओं को सिर्फ लाभार्थी नहीं, नीति निर्धारक बनाना चाहती है। महिला सशक्तिकरण केवल योजनाओं से नहीं, बल्कि उन्हें निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बनाने से होगा। सीएम धामी के नेतृत्व में बीते चार वर्षों में महिला सशक्तिकरण को नीति और क्रियान्वयन दोनों स्तरों पर मजबूती मिली है। अब राज्य सरकार पहली महिला नीति लाने की तैयारी कर रही है, लेकिन इससे पहले भी सरकार ने एक के बाद एक ठोस कदम उठाकर महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त किया है।
सीएम धामी सरकार ने राज्य की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण देकर लाखों युवतियों के लिए नौकरी के अवसर खोले। यह निर्णय स्थायी निवासी महिलाओं को प्राथमिकता देता है और उन्हें प्रतिस्पर्धा में बराबरी का मौका देता है। सरकार ने सहकारी समितियों, जो ग्रामीण आर्थिकी में अहम भूमिका निभाती हैं, उनमें महिला आरक्षण लागू किया। इससे महिलाओं को पहली बार संगठनात्मक नेतृत्व का अवसर मिला और ग्रामीण वित्तीय तंत्र में भागीदारी मजबूत हुई। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सालाना 1 लाख या उससे अधिक की आय अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। अब तक 1.63 लाख महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं।
सरकारी नौकरी में आरक्षण..
उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं को सरकारी सेवाओं में सशक्त भागीदारी देने की दिशा में एक बड़ा फैसला लेते हुए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को पुनः लागू कर दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लिए गए इस निर्णय के तहत अब राज्य की मूल निवासी (डोमिसाइल) महिलाएं इस आरक्षण का लाभ उठा सकेंगी। क्षैतिज आरक्षण का अर्थ है कि यह आरक्षण हर वर्ग (सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी) में अतिरिक्त रूप से लागू होता है। यानी यदि कोई महिला अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आती है तो उसे OBC आरक्षण के साथ-साथ 30% महिला आरक्षण का भी लाभ मिलेगा, बशर्ते वह उत्तराखंड की अधिवासी हो।यह आरक्षण सिर्फ उन महिलाओं को मिलेगा जिनके पास उत्तराखंड राज्य का अधिवास प्रमाणपत्र (Domicile Certificate) है। जो राज्य की सरकारी सेवाओं में आवेदन कर रही हैं।
राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह आरक्षण 10 जनवरी 2023 से विधिवत लागू कर दिया गया। इसके बाद से राज्य में सभी नई सरकारी भर्तियों में यह व्यवस्था प्रभावी हो गई है। इस फैसले के बाद से सरकारी कार्यालयों में महिला कर्मचारियों की संख्या में स्पष्ट सुधार देखा गया है। कई प्रतियोगी परीक्षाओं और चयन प्रक्रियाओं में महिलाओं की सफलता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। धामी सरकार ने सहकारी समितियों में भी 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू कर दिया है। उत्तराखंड में निकाय और पंचायतों में पहले से ही महिला आरक्षण दिया जा रहा है।
अब सहकारी समितियों में महिला आरक्षण लागू होने से सभी स्तर पर महिला नेतृत्व उभरने का रास्ता साफ हो गया है सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, सीएम धामी ने महिला दिवस पर देहरादून जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महिला सारथी योजना भी लागू की है। इसके तहत राज्य की महिलाएं ऑटो रिक्शा और टू-व्हीलर चलाकर यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम कर रही हैं। मातृशक्ति उत्तराखंड के समाज की रीढ़ है। हमारी सरकार का मानना है कि बिना महिलाओं को सशक्त किए, समाज का आगे बढ़ना मुश्किल है, इसलिए महिलाओं को समर्पित कई योजनाएं संचालित हो रही हैं, जो आगे चलकर गेम चेंजर साबित होंगी। इसी क्रम में अब हम जल्द महिला नीति भी लेकर आ रहे हैं।
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