December 22, 2024

गर्दन से जांघ तक AK-47 की गोलियों से बचाएगा ‘भाभा कवच ..

गर्दन से जांघ तक AK-47 की गोलियों से बचाएगा ‘भाभा कवच ..

 

देश-दुनिया : निगमीकरण के बाद ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड में तब्दील आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्टरी (ओईएफ) ने बुलेट रेजिस्टेंस जैकेट तैयार की है। भाभा कवच के नाम से तैयार ये बुलेट प्रूफ जैकेट गर्दन से लेकर जांघ तक एके-47 की गोलियों से रक्षा करेगी। मिदानी समूह के साथ संयुक्त रूप से बनाई गई ये जैकेट 360 डिग्री बुलेट प्रोटेक्शन से लैस ओईएफ की पहली जैकेट है। मंगलवार को असम पुलिस को ये जैकेट सौंपी गई। एक बड़ा बदलाव और आया है। निगमीकरण से पहले ओईएफ ने 280 करोड़ के उत्पाद बनाए थे। अब 417 करोड़ के उत्पादन निर्माणी बना चुकी है।

ओईएफ द्वारा विकसित भाभा कवच निर्माणी के अस्थायी कार्यभार अधिकारी विजय कुमार चौधरी ने अपर महाप्रबंधक एमसी बालासुब्रमण्यम के साथ असम पुलिस को इसे सौंपा। असम पुलिस ने 164 भाभा कवच का ऑर्डर दिया था। इस जैकेट को बनाने के लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने कार्बन नैनो ट्यूब टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर ऑफ़ टेक्नोलॉजी के तहत मिदानी को सहयोग किया।

360 डिग्री सुरक्षा करता है भाभा कवच..

कार्यभार अधिकारी विजय कुमार चौधरी ने बताया कि भाभा कवच बीआईएस लेवल V के साथ 360 डिग्री सामने पीछे और साइड से गोलियों से बचाएगा। यह गर्दन, कंधे और कमर के नीचे तक का 9 एमएम की गोलियों से बचाता है। काउंटर इनसर्जेंसी में जवानों के लिए बेहद उपयोगी है। भाभा कवच में दो मैगजीन, दो ग्रेनेड पॉकेट और दो आर्मर पैनल हैं। जिनको जैकेट से निकाला जा सकता है और बाहर के कैरियर को धोया भी जा सकता है। 9.3 से 9.6 किलो का ये कवच कम से कम पांच साल चलेगा।

जैकेट से टकराते ही चूर- चूर हो जाएंगी गोलियां..

भाभा कवच एके 47 के 6 शॉट सामने, 6 पीछे और 3-3 शॉट साइड से रोकने में सक्षम है। यानी ये दुनिया की सबसे खतरनाक एके-47 की 18 गोलियां महज 10 मीटर की दूरी से भी झेलने में सक्षम है। केवल पांच मीटर से दागी गईं रिवाल्वर और पिस्टल की गोलियां भी इस जैकेट को भेद नहीं सकेंगी। इतना ही नहीं भाभा कवच सेल्फ लोडेड राइफल्स, इंसास, हैंड स्टील कोर, माइल्ड स्टील कोर और लेड कोर जैसे घातक हथियारों से भी बचाने में मुफीद है। इसकी वजह है- बोरियम कार्बाइड सेरेमिक प्लेट्स, जो दुनिया का तीसरा सबसे कठोर तत्व है। जैकेट के अंदर छिपीं बोरियम कार्बाइड की प्लेटों से टकराते ही गोलियों के आगे का हिस्सा चूर- चूर हो जाता है।

गलवां के बाद पांच गुना बढ़ गई मांग..

लद्दाख की गलवां घाटी में जून 2020 को चीनी सैनिकों के साथ भारतीय फौज की भिड़ंत के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस्तेमाल करने वाले उत्पादों की मांग पांच गुना बढ़ गई है। बर्फ में चलने वाले बूट क्रैम्पटन, लाइट टेंट्स, टेंट आर्कटिक, पोंचो सहित दर्जनों उत्पादों की काफी मांग है। ओईएफ के अपर महाप्रबंधक वीके चौधरी ने बताया कि आज पहले की तुलना में पांच गुना ज्यादा फौज है। कम से कम सालाना एक लाख बूट क्रैम्पटन की मांग है। माइनस 50 डिग्री के लिए बैग स्लीपिंग बनाए हैं।

जल्द सामने आएगी बुलेट प्रूफ ‘मोदी जैकेट’..

‘मोदी जैकेट’ के नाम से मशहूर डिजायनर जैकेट अब बुलेटप्रूफ का रूप लेगी। वीके चौधरी ने बताया कि ओईएफ इसपर काम कर रहा है। मोदी जैकेट को बुलेटप्रूफ जैकेट में तब्दील करने के साथ ही डिजायनर लुक देने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्लोनाजी (निफ्ट) रायबरेली के साथ करार किया गया है। ये जैकेट बेहद हल्की होगी और 9 एमएम की गोलियों से शरीर के फ्रंट हिस्से को सुरक्षित करेगी। इसे विशिष्ट लोगों के लिए तैयार किया जा रहा है।