शीतकाल के लिए बंद हुए बद्रीनाथ धाम के कपाट, इस वर्ष संपन्न हुई चारधाम यात्रा..
उत्तराखंड: श्रद्धालुओं के जय बद्री विशाल के उदघोष के साथ रात्रि 9 बजकर 7 मिनट पर शीतकाल के लिए बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट पहले ही बंद हो चुके हैं। अब बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही इस वर्ष के लिए चारधाम यात्रा का संपन्न हो गई है। कपाट बंद होने के मौके पर धाम में पहुंचे लगभग 10 हजार श्रद्धालुओं ने बद्रीनाथ के दर्शन किए। कपाट बंद होने के बाद बद्रीनाथ धाम जय बद्रीविशाल के उद्घोष से गूंज उठा। बद्रीनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।
रविवार को दिनभर बद्रीनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुला रहा। पूर्व की भांति सुबह साढ़े चार बजे बद्रीनाथ की अभिषेक पूजा शुरू हुई। बद्रीनाथ का तुलसी और हिमालयी फूलों से श्रृंगार किया गया। अपराह्न छह बजकर 45 मिनट पर बद्रीनाथ की सायंकालीन पूजा शुरू हुई। देर शाम सात बजकर 45 मिनट पर रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता को बद्रीनाथ मंदिर में प्रवेश कराया। बदरीश पंचायत (बद्रीनाथ गर्भगृह) में सभी देवताओं की पूजा अर्चना व आरती के बाद उद्धव जी व कुबेर जी की प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लाया गया।
रात आठ बजकर 10 मिनट पर शयन आरती हुई। उसके बाद कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई। रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट व अमित बंदोलिया ने कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की। रात सवा आठ बजे माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार घृत कंबल बद्रीनाथ भगवान को ओढ़ाया गया और अखंड ज्योति जलाकर रात ठीक नौ बजकर सात मिनट पर भगवान बद्रीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
इस मौके पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय, कोटद्वार विधायक दिलीप रावत, ज्योतिर्मठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल, मंदिर समिति के सदस्य वीरेंद्र असवाल, पुष्कर जोशी, भास्कर डिमरी, एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ, प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी के साथ ही हक-हकूकधारी मौजूद रहे।
कल योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगी उत्सव डोलियां
रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठी और बद्रीनाथ के हक-हकूकधारियों के साथ उद्धव व कुबेर की उत्सव डोली तथा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार को सुबह पांडुकेश्वर के योग बदरी मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। मंगलवार को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंह मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी।
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