एआई मिशन 2025 को मिली रफ्तार, राज्य ने जारी किए दो पॉलिसी ड्राफ्ट, फोकस पर्वतीय जरूरतों पर..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डाटा साझा करने का रास्ता और आसान होने जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की एआई पॉलिसी, डाटा शेयरिंग पॉलिसी, एआई मिशन की आधिकारिक वेबसाइट और लोगो को बुधवार को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने राजभवन स्थित सभागार में लांच किया। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने ‘उत्तराखंड एआई मिशन-2025’ के तहत तैयार दो नीतियों के ड्राफ्ट भी जारी किए। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में तकनीक विकास का सबसे महत्वपूर्ण आधार बन चुकी है और आज कोई भी क्षेत्र तकनीक से अछूता नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्य तकनीकी समावेश के बिना पूरे नहीं किए जा सकते। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा भविष्य की उभरती तकनीक को अपनाने का जो संकल्प लिया गया है, उसी दिशा में उत्तराखंड तेजी से आगे बढ़ रहा है। एआई जैसी आधुनिक तकनीकें शासन और जनसेवा में पारदर्शिता, दक्षता और बेहतर फैसलों को सक्षम बनाएंगी। उन्होंने विश्वास जताया कि नई एआई और डाटा शेयरिंग नीतियां राज्य के विकास को नई दिशा देंगी और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
उत्तराखंड में तकनीकी विकास को नई दिशा देने के लिए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक’ बनाने का संकल्प आधुनिक एआई पॉलिसी के माध्यम से साकार होगा। राज्यपाल ने कहा कि एआई जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से बड़ी संभावनाएं खुल रही हैं, लेकिन इसके साथ डिजिटल डिवाइड, स्वास्थ्य व नैतिकता से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां भी सामने हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए शोध और अनुसंधान निरंतर आगे बढ़ रहे हैं और तकनीक आधारित समाधान तेजी से विकसित हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि एआई और डाटा शेयरिंग नीतियों को अपनाना वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में उत्तराखंड का अहम कदम साबित होगा। कार्यक्रम के दौरान सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, अपर सचिव रीना जोशी, आईटीडीए के निदेशक और अपर सचिव आलोक कुमार पांडेय, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, संयुक्त निदेशक सूचना डॉ. नितिन उपाध्याय सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, तकनीकी संस्थानों के मेंटर और बड़ी संख्या में छात्र भी उपस्थित रहे।
पहाड़ की जरूरतों के हिसाब से नीति
कार्यक्रम में सचिव सूचना प्रौद्योगिकी नितेश झा ने कहा कि उत्तराखंड की नई एआई पॉलिसी को केंद्र सरकार की एआई पॉलिसी के अनुरूप तैयार किया गया है, लेकिन इसमें पहाड़ी क्षेत्रों की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि यह पॉलिसी उत्तराखंड को जिम्मेदार एआई उपयोग, नवाचार, अनुसंधान और कौशल विकास के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी राज्य बनाने में मदद करेगी। पॉलिसी का लक्ष्य एआई आधारित समाधान विकसित कर पहाड़ों की चुनौतियों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी और आपदा प्रबंधन को आसान बनाना है। इस अवसर पर टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज के प्रतिनिधियों ने “ग्लोबल डेवलपमेंट्स इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड देयर इंपैक्ट ऑन उत्तराखंड” विषय पर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
उन्होंने एआई के वैश्विक रुझानों, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और उत्तराखंड में उभरते अवसरों पर प्रस्तुति दी। तकनीकी विशेषज्ञों, अधिकारियों और छात्रों की उपस्थिति में आयोजित यह कार्यक्रम उत्तराखंड के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। कार्यक्रम में आईटीडीए की ओर से आयोजित पहली बार 25 शिक्षण संस्थानों में हैकॉथन उद्भव हुआ, जिसमें 846 छात्रों ने हिस्सा लिया। इससे चुनी गई शीर्ष पांच संस्थानों टीएचडीसी इंस्टीट्यूट के हैश क्रू, आईआईटी रुड़की के डिजिटल ट्विन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम संस्थान के अनलॉक एड, यूपीईएस के कार्बन ऐज और ग्राफिक एरा विवि के ग्रिड स्फेयर को राज्यपाल ने 50-50 हजार रुपये, मेडल, सर्टिफिकेट और टेबलेट देकर पुरस्कृत किया। इसके साथ ही शीर्ष पांच स्टार्टअप ब्रिजिट, भूमिकैम, रिविज लैब्स, आई-रेजोनेट और विजी इंफोटेक को भी 50-50 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया।

More Stories
हरिद्वार में 2027 अर्द्धकुंभ मेले की तैयारियों पर सीएम धामी ने 13 अखाड़ों के साथ की बैठक..
शिक्षक बनने का सुनहरा मौका, उत्तराखंड में 1600+ प्राइमरी टीचर के पदों पर निकली भर्ती..
खिलाड़ियों के सपनों को पंख, स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की बाधा दूर, तय हुई शुरुआत की तारीख..