November 22, 2025

पंच पूजाओं के साथ बदरीनाथ धाम में शुरू हुआ कपाट बंद होने का पारंपरिक क्रम..

बदरीनाथ धाम में शीतकाल के लिए कपाट बंद होने की परंपरागत प्रक्रिया आज 21 नवंबर से शुरू हो गई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार बदरीनाथ मंदिर में वर्ष के छह माह मनुष्य और छह माह देवता भगवान बदरीविशाल की पूजा-अर्चना करते हैं। जैसे ही पंच पूजाएं प्रारंभ होती हैं, यह देवताओं के आगमन का संकेत माना जाता है, और कपाट बंद होने के बाद पूजाओं की जिम्मेदारी देवताओं को सौंप दी जाती है।

पंच पूजाओं का धार्मिक महत्व

कपाट बंद होने से पांच दिन पहले बदरीनाथ धाम में होने वाली पंच पूजाएं अत्यंत विशेष मानी जाती हैं। लोकमान्यता है कि इन पूजाओं के दौरान देवता धाम में उपस्थित होते हैं और कपाट बंद होने के बाद अगले छह माह तक पूजा-अर्चना का अधिकार उन्हीं का होता है।

पंच पूजाओं की क्रमवार प्रक्रिया इस प्रकार है—

पहला दिन — गणेश मंदिर
पंच पूजाओं की शुरुआत गणेश मंदिर में होती है। रावल द्वारा अंतिम पूजा के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

दूसरा दिन — आदिकेदारेश्वर मंदिर
इस दिन भगवान शिव को अन्नकूट भोग लगाया जाता है। शिवलिंग को पके हुए चावलों से ढककर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

तीसरा दिन — सभा मंडप में पुस्तक पूजन
धार्मिक पुस्तकों की पूजा और वेद ऋचाओं के वाचन का यह सीजन का अंतिम दिन होता है।

चौथा दिन — माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग
इस दिन माता लक्ष्मी को विशेष कढ़ाई भोग अर्पित किया जाता है और पूजन सम्पन्न होता है।

पांचवा दिन — बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद
पंच पूजाओं के पूर्ण होने के बाद धाम शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाता है।

धर्म परंपरा: छह माह देवताओं की पूजा

पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। वैश्याख माह में कपाट खुलने तक भगवान बदरीनाथ की सेवा और पूजा करने का अधिकार देवताओं को ही माना जाता है।

कब बंद होंगे कपाट?

  • 21 नवंबर — गणेश मंदिर में विशेष पूजा और कपाट बंद
  • 22 नवंबर — आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद
  • 23 नवंबर — सभा मंडप में पुस्तक पूजन व वेद वाचन का समापन
  • 24 नवंबर — माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित
  • 25 नवंबर दोपहर 2:56 बजे — बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान से बंद