उपनल कर्मियों का हड़ताल पर अडिग रुख, समान वेतन और नियमितीकरण पर लिखित आदेश की मांग..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत उपनल कर्मचारियों (UPNL Employees) के लिए राहत भरी खबर आ सकती है। प्रदेश सरकार आज होने वाली कैबिनेट बैठक में उनके नियमितीकरण के मुद्दे पर अहम निर्णय ले सकती है। बताया जा रहा है कि सरकार नियमितीकरण का फार्मूला तय करने पर विचार कर रही है। हालांकि, इसमें आरक्षण से जुड़ा पेच अब भी बरकरार है, जिस पर कैबिनेट में चर्चा की संभावना है। सूत्रों के अनुसार बैठक में साइलेज नीति में संशोधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरी विकास, और अन्य विभागों से संबंधित कई प्रस्तावों पर भी विचार किया जाएगा। लेकिन सबसे अधिक निगाहें उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के मसले पर टिकी हैं, जो बीते कई दिनों से सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है।
बता दे कि प्रदेश के लगभग 22 हजार उपनल कर्मचारी अपनी लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारी देहरादून के परेड ग्राउंड में धरने पर डटे हुए हैं और नियमितीकरण की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हाल ही में हुई शासन स्तर की वार्ता भी बेनतीजा रही। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। बता दे कि सीएम पुष्कर सिंह धामी कर्मचारियों की मांगों के प्रति संवेदनशील हैं और इस दिशा में कोई व्यवहारिक समाधान निकालने पर विचार कर रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण निर्णय हो सकता है, जिससे लंबे समय से आंदोलनरत कर्मियों को राहत मिलेगी। यदि सरकार नियमितीकरण का कोई ठोस फार्मूला तय करती है, तो यह प्रदेश के हजारों उपनल कर्मियों के लिए एक बड़ी सौगात साबित होगी।
संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल का कहना हैं कि प्रदेश में वर्षों से सेवाएं दे रहे उपनल कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के वर्ष 2018 के आदेश के बावजूद न तो कर्मचारियों का नियमितीकरण किया गया और न ही उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन दिया गया। इसके साथ ही उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवाओं को भी प्रभावित किया गया, जिससे नाराज कर्मचारी मजबूरन हड़ताल पर उतर आए हैं। कर्मचारियों की हड़ताल का असर अब आवश्यक सेवाओं पर भी दिखाई देने लगा है, क्योंकि उपनल के माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार कर चुके हैं। महासंघ के महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि कर्मचारियों को वार्ता के लिए गृह सचिव शैलेश बगौली ने बुलाया था।
वार्ता के दौरान उन्हें आश्वासन दिया गया कि सरकार जल्द ही समान कार्य के लिए समान वेतन को लेकर आदेश जारी करेगी और नियमितीकरण प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि कर्मचारियों ने साफ कहा है कि वे केवल लिखित आदेश या स्पष्ट शासनादेश जारी होने के बाद ही आंदोलन वापस लेंगे। कर्मचारियों का कहना है कि “मौखिक आश्वासन अब पर्याप्त नहीं है। जब तक ठोस निर्णय नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा। उधर सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि किसी तरह गतिरोध खत्म किया जाए। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाली कैबिनेट बैठक में इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है। राज्यभर में चल रही इस हड़ताल का असर स्वास्थ्य, शिक्षा, जल संस्थान और ऊर्जा विभाग जैसी सेवाओं पर भी दिखने लगा है। जनता को भी इस अव्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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