
नगर निकायों में कागज़ी झंझट से मिलेगी राहत, ई-ऑफिस प्रणाली से बढ़ेगी रफ्तार- सचिव नितेश झा..
उत्तराखंड: प्रदेश के नगर निकायों में कामकाज अब तेजी से और पारदर्शिता के साथ होगा। राज्य सरकार सभी 107 नगर निकायों में जल्द ही ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने जा रही है। इसको लेकर शहरी विकास विभाग के सचिव नितेश झा ने शुक्रवार को समीक्षा बैठक कर अधिकारियों को जरूरी निर्देश जारी किए। फिलहाल अधिकतर नगर निकायों में अब भी पुरानी फिजिकल फाइल व्यवस्था के तहत ही कामकाज हो रहा है, जिससे काम में देरी, पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही की समस्या सामने आती रही है। सचिव झा ने स्पष्ट किया कि ई-ऑफिस लागू होने से न केवल फाइलों की आवाजाही तेज होगी, बल्कि अधिकारी-कर्मचारी कहीं से भी काम कर सकेंगे और हर कार्रवाई की डिजिटल ट्रैकिंग संभव होगी। बैठक में बताया गया कि एक-दो नगर निकायों को छोड़कर शेष सभी जगहों पर ई-ऑफिस की तैयारी शुरू कर दी गई है। तकनीकी प्रशिक्षण और इंटरनेट कनेक्टिविटी की व्यवस्था के लिए भी संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है।
उत्तराखंड के नगर निकायों में अब कागजों की भरमार और धीमी कार्यप्रणाली बीते दिनों की बात होगी। राज्य सरकार ने सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने की तैयारी तेज कर दी है। इस संबंध में शहरी विकास सचिव नितेश झा ने शुक्रवार को अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए। उनका कहना हैं कि नगर निकायों में अब भी काम पुरानी फाइल प्रणाली के तहत हो रहा है, जिससे देर, गड़बड़ी और फाइलों की गुमशुदगी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। देहरादून नगर निगम में पूर्व में फाइलें चोरी या डैमेज होने के कई मामले सामने आ चुके हैं। ई-ऑफिस लागू होने के बाद इस पर पूर्ण विराम लग सकेगा। सचिव ने कहा कि ई-ऑफिस प्रणाली से सभी फाइलें डिजिटल माध्यम से ट्रैक होंगी, काम की गति तेज होगी और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। इसके लिए सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि नई तकनीक का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। राज्य के 107 नगर निकायों में इस नई व्यवस्था से न केवल प्रशासनिक कामकाज आसान होगा, बल्कि जनता को भी समय पर सेवाएं मिल सकेंगी। यह पहल राज्य में डिजिटल ट्रांज़िशन और ई-गवर्नेंस की दिशा में एक बड़ा और व्यावहारिक कदम मानी जा रही है।
उत्तराखंड के नगर निकायों में अब सिर्फ फाइलें ही नहीं, बल्कि कमाई और खर्च का पूरा लेखा-जोखा भी ऑनलाइन होगा। शहरी विकास विभाग ने राजस्व और व्यय प्रबंधन को पारदर्शी बनाने के लिए बड़ी पहल शुरू कर दी है। कई नगर निकायों में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि उनकी माहवार आमदनी कितनी है, और कहां-कहां कितना खर्च हो रहा है। अब इस पूरी व्यवस्था को डिजिटाइज करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। शहरी विकास सचिव नितेश झा ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राजस्व स्रोतों की स्पष्ट मॉनिटरिंग हो और वास्तविक वित्तीय स्थिति की जानकारी हर समय उपलब्ध रहे।इस व्यवस्था के तहत नगर निकायों की प्रॉपर्टी टैक्स, यूजर चार्ज, लाइसेंस फीस, किराया वसूली जैसी सभी आय और वेतन, निर्माण कार्य, मेंटेनेंस आदि पर होने वाले खर्च को एक सेंट्रल डिजिटल सिस्टम में रिकॉर्ड किया जाएगा। इस कदम का मुख्य उद्देश्य निकायों की कार्यप्रणाली को मजबूत करना, वित्तीय अनुशासन लागू करना और किसी भी तरह की अनियमितता पर नियंत्रण पाना है। साथ ही इससे राज्य सरकार को भी योजना निर्माण और संसाधन वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। ई-ऑफिस प्रणाली के साथ-साथ यह डिजिटल राजस्व निगरानी तंत्र, उत्तराखंड के शहरी प्रशासन को आधुनिक, जवाबदेह और जनता के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।
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