June 27, 2025

नए मेयर ने ली पहली बोर्ड बैठक, हर पार्षद को विकास के लिए मिलेंगे 35 लाख रुपए..

नए मेयर ने ली पहली बोर्ड बैठक, हर पार्षद को विकास के लिए मिलेंगे 35 लाख रुपए..

 

उत्तराखंड: देहरादून नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक में मेयर सौरभ थपलियाल, नगर आयुक्त नमामि बंसल और 100 वार्डों के पार्षदों ने भाग लिया। इस बैठक में कुल 31 प्रस्तावों पर चर्चा की गई, जो शहर के विकास और प्रशासनिक सुधारों से जुड़े थे। बोर्ड बैठक के दौरान सभी पार्षदों का फोकस सफाई व्यवस्था और कूड़ा उठान पर रहा। साथ ही लाइट लगाने, वार्डों की नियमित सफाई और कूड़ा उठान को और बेहतर बनाने के उपायों पर चर्चा हुई। पार्षदों ने वार्डों में सफाई कार्यों को सुचारु करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की। साथ ही वार्डों में सुरक्षा बढ़ाने और कूड़ा डालने वालों पर निगरानी रखने के लिए कैमरे लगाने का प्रस्ताव रखा गया। नगर निगम की आय बढ़ाने के लिए वार्डों में कैंप लगाकर भवन कर वसूली को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।

प्रत्येक पार्षद को विकास कार्यों के लिए 35 लाख रुपए दिए जाएंगे..

देहरादून नगर निगम बोर्ड बैठक में शहर के 100 वार्डों के विकास के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं कि प्रत्येक वार्ड को 35-35 लाख रुपये दिए जाएंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर विकास कार्य किए जा सकें। सभी वार्डों में सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा कार्यों के लिए 5-5 लाख रुपये आवंटित किए जाएंगे।बोर्ड बैठक में स्वच्छता समिति में हुए घोटाले का भी असर देखा गया। वार्ड 88 के पार्षद ने आरोप लगाया कि उनके वॉर्ड में 10 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति के बावजूद केवल 6 कर्मचारी ही काम पर आ रहे हैं, जबकि बाकि 4 का वेतन दिया जा रहा है। हालांकि यह नीति पिछले बोर्ड में थी, लेकिन अब नया बोर्ड बन गया हैं। पार्षदों ने इस मामले की जांच कराने की मांग की और कहा कि पिछले बोर्ड की गलत नीतियों की समीक्षा की जानी चाहिए।

 

पार्षद ने की विधायक की तरह वेतन की मांग

देहरादून नगर निगम बोर्ड बैठक में पार्षदों ने वेतन, वित्तीय पारदर्शिता और विकास कार्यों में अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाए। एक पार्षद का कहना हैं कि जिस तरह विधायकों को वेतन मिलता है, तो पार्षदों को का वेतन भी वैसे क्यों नहीं मिलता ? उन्होंने कहा कि पार्षदों के कामकाज में काफी खर्चा होता है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं दिया जाता, जो अन्याय है। पार्षदों ने आरोप लगाया कि पिछले डेढ़ साल में बोर्ड भंग होने के दौरान नगर निगम ने आईईएस, लघु सिंचाई और लोक निर्माण विभाग को करोड़ों रुपये जारी किए, लेकिन कोई भी विकास कार्य नहीं हुए हैं। उन्होंने सभी खर्चों की पूरी डिटेल सार्वजनिक करने की मांग की और सवाल उठाया कि जब कोई काम नहीं हुआ तो विकास कार्यों के लिए जारी पैसा कहां गया?

बता दे कि पहले नगर निगम क्षेत्र में लगभग 10 डिस्पेंसरी थीं, लेकिन समय के साथ ये या तो बंद हो गईं या इनकी हालत खराब हो गई। सभी डिस्पेंसरियों को फिर से चालू करने और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही नगर निगम की आय बढ़ाने के लिए निगम क्षेत्र के अंतर्गत व्यावसायिक भूमि की पहचान कर वहां मार्केट और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए। इससे नगर निगम की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और शहर के व्यावसायिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही जन सुविधा के मद्देनजर नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत सार्वजनिक संपत्तियों को अतिक्रमण मुक्त किए जाने के लिए जोनल जेब्रा फोर्स गठित किए जाने के लिए निर्देश दिए गए। अन्य प्रदेशों के नगर निगमों की तरह गेस्ट हाउस का निर्माण किए जाने के लिए निर्देश दिए गए।

इसके साथ ही नगर निगम की बैठक में किन्नरों का मामला भी उठा। किन्नरों द्वारा मनमर्जी से बधाई लेने पर अंकुश लगाने के लिए नगर निगम बोर्ड बैठक में चर्चा की गई। तय किया गया कि किन्नर कम से कम 2100 रुपए और अधिक से अधिक 5100 रुपए की बधाई लेंगे। हालांकि अभी इसका प्रस्ताव जारी नहीं हुआ है क्योंकि नगर निगम किन्नर पक्ष के साथ दो बार बैठक करेगा और उसके बाद निर्णय लेगा।