गौरीकुंड से 305 लोगों को रेस्क्यू कर पहुंचाया गया सोनप्रयाग..
उत्तराखंड: गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर अतिवृष्टि के बाद सातवें दिन भी रेस्क्यू जारी रहा। इस दौरान गौरीकुंड से 305 लोगों का रेस्क्यू कर सोनप्रयाग पहुंचाया गया। हालांकि खराब मौसम के कारण केदारनाथ से किसी को नीचे नहीं भेजा गया। एसडीआरएफ द्वारा लिंचोली सहित अन्य स्थानों पर डॉग स्क्वायड की मदद से खोजबीन भी कर रही है।। इधर, मंदाकिनी के तेज वेग के कारण सेना द्वारा बनाई गई तीन पुलिया बह गईं। इससे रेस्क्यू मुश्किल हो गया है। 1 अगस्त से शुरू किए गए बचाव अभियान में अभी तक 12,827 यात्रियों और स्थानीय लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है।
बता दे कि बुधवार सुबह तेज बारिश के कारण पैदल मार्ग से लेकर सोनप्रयाग तक रेस्क्यू नहीं हो पाया। दोपहर से मौसम में सुधार के बाद गौरीकुंड से 305 लोगों को एसडीआरएफ के जवानों ने रेस्क्यू किया। इस दौरान सोनप्रयाग में पहाड़ी से गिरते बोल्डरों के बीच जवानों ने एक-एक व्यक्ति को सकुशल नदी के दूसरी तरफ सड़क तक पहुंचाया। रेस्क्यू किए गए लोगों में 17 महिलाएं और एक बच्चा भी शामिल है। एसडीआरएफ के सहायक कमांडेंट आरएस धपोला का कहना हैं कि बारिश के बाद सोनप्रयाग में भूस्खलन जोन और भी खतरनाक हो गया है। यहां पहाड़ी से लगातार पत्थर व मलबा गिर रहा है। जिससे दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। बीते एक अगस्त से शुरू हुए अभियान में अभी तक 12,827 यात्रियों और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है।
इधर, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने कहा कि सुबह से बारिश और घने कोहरे के कारण केदारनाथ से एक भी यात्री व स्थानीय व्यक्ति को पैदल मार्ग से नहीं भेजा गया। उनका कहना हैं कि पैदल मार्ग पर लिंचोली से गौरीकुंड के बीच कई स्थानों पर भूस्खलन होने से स्थिति काफी संवेदनशील हो गई है। सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी पर रेस्क्यू के लिए सेना द्वारा बनाई गईं तीन अस्थायी पुलिया नदी का जलस्तर बढ़ने से बह गई हैं। क्षेत्र में मंगलवार रात से तेज बारिश हो रही थी। पुलिया बहने से यहां पर रेस्क्यू करना खतरनाक हो गया है। सेना के अधिकारियों ने कहा कि मौसम में सुधार होते ही अस्थायी पुलिया का पुन: निर्माण किया जाएगा। बता दें कि पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से सेना का टेंट भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
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